आज 26 अगस्त है। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। भारत के साथ दुनियाभर में इस त्योहार को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है।
जानें शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 25 अगस्त, 2024 दिन रविवार को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा।इस बार श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12.00 से 12.44 तक होगा। इसी अवधि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
जानें पूजा मुहूर्त
इस बार जन्माष्टमी पर पूजा का मुहूर्त 26 अगस्त को 11 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगा जो 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
जानें कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास
भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का खास महत्व है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भाई कंस के अत्याचार को कारागार में रह सह रही बहन देवकी ने भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अपनी आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया था। भगवान विष्णु ने पृथ्वी को कंस के अत्याचार और आतंक से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। इसी कथा के अनुसार हर साल भाद्रपद की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
जानें कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
पुराणों के मुताबिक, श्रीकृष्ण त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु के अवतार हैं। कृष्ण के आशीर्वाद और कृपा को पाने के लिए हर साल लोग इस दिन व्रत रखते हैं, मध्य रात्रि में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी पर दही-हांडी का भी उत्सव होता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की देशभर में खास धूमधाम देखने को मिलती है।
जानें कैसे मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार उपवास रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। बाल गोपाल की जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं। फूल अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। कान्हा को भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं। इसलिए भगवान को भोग लगाकर सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।