अल्मोड़ा से जुड़ी खबर है। स्वामी विवेकानन्द के शिकागो धर्म सभा के पश्चात् मातृभूमि भारत लौटने के उपरान्त अल्मोड़ा आगमन (1897) एवं रामकृष्ण मिशन की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ‘नारी सशक्तिकरण एवं युवाओं के सन्दर्भ में स्वामी विवेकानन्द का वैश्विक सन्देश’ 93 विषय पर बीते कल 23 मई को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
जिसका शुभारंभ शिक्षा संकाय में विधिवत् रूप से हुआ। इस कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्जवलन से प्रारम्भ हुआ। जिसमें संन्यासियों द्वारा वेद पाठ किया गया। विवेकानन्द इण्टर कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा बैण्ड बजाकर अतिथियों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात् अतिथियों का बैज अलंकरण तथा स्वागत गीत हुआ। स्वामी ध्रुवेशानन्द द्वारा स्वागत भाषण में स्वामी विवेकानन्द जी के मातृभूमि के प्रति प्रेम तथा उनके भारत के भविष्य के प्रति सोच के विषय में प्रकाश डाला गया। उसके पश्चात् प्रो० भीमा मनराल जी द्वारा संगोष्ठी परिचय एवं संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के दार्शनिक विचारों पर प्रकाश डाला। उनके द्वारा आधार व्याख्यान प्रस्तुत किया गया जिसमें संगोष्ठी के विषय में विस्तृत रूप से व्याख्यान देते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के ‘चसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रखे जाने एवं भारत लौटकर रामकृष्ण मिशन के माध्यम से मातृभूमि की सेवा करने के विषय में बताया गया। उसके पश्चात् पद्म डॉ. ललित पाण्डे, प्रकाश चन्द्र जोशी तथा प्रो० प्रवीण विष्ट द्वारा उद्बोधन किया गया।
स्वामी विवेकानंद के विचारों पर चले
स्वामी जी की स्त्री शिक्षा के विषय में एवं युवा शक्ति के उत्थान के विषय में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी निखिलेश्वरानन्द ने स्वामी जी के जीवन परिचय एवं उनके शिकागो यात्रा, के प्रसंगों एवं भारत लौटकर भारत माता के प्रति पूर्ण समर्पित कार्यों के विषय में बताया । अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. जगत सिंह विष्ट, कुलपति द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के लक्ष्यों एवं स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों एवं स्वामी जी के विचारों पर चलते हुए सशक्त भारत निर्माण की बात कही गई।