अल्मोड़ा: समाजशास्त्र विभाग द्वारा अंडरस्टैंडिंग मेंस्ट्रुऐशन एंड सर्वाइकल कैंसर विषय पर एक दिवसीय वर्कशॉप आयोजित

सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा में आजादी के अमृत महोत्सव, जी 20 के अंतर्गत  समाजशास्त्र विभाग द्वारा अंडरस्टैंडिंग मेंस्ट्रुऐशन एंड सर्वाइकल कैंसर विषय पर एक दिवसीय वर्कशॉप आयोजित हुई। गणित विभाग के सभागार में आयोजित कार्यशाला के मुख्य अतिथि सोबन सिंह जीना परिसर के निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, कार्यक्रम अध्यक्ष एवं संयोजक प्रो. इला साह,मुख्य अतिथि प्रो. जया उप्रेती (संकायाध्यक्ष, विज्ञान), विशिष्ट अतिथि प्रो.अरविंद सिंह अधिकारी (संकायाध्यक्ष, कला) आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

आज सर्वाइकल कैंसर की वजह से मासिक धर्म में बदलाव हो रहा है

संचालन शोधछात्र आशीष पंत ने करते हुए वर्कशॉप के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज सर्वाइकल कैंसर आम बात हुई है। कार्यशाला की संयोजक और अधिष्ठाता छात्रकल्याण प्रो इला साह ने सभी अतिथियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि आज एक गंभीर विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जो समाज में जागृति लाएगा। मासिक धर्म  एक गंभीर विषय  और यह एक जैवकीय प्रक्रिया है। मासिक धर्म को लेकर समाजशास्त्र विषय में शोध जारी है। मासिक धर्म का मिथ्या, रूढ़िवादिता के साथ गहरा संबंध है। पर्वतीय क्षेत्र में  मासिक धर्म के दौरान महिला को पृथक किया जाता है जो एक मिथ्या और रूढ़िवादिता है। आज सर्वाइकल कैंसर की वजह से मासिक धर्म में बदलाव हो रहा है जो महिलाओं के स्वास्थ्य को काफी नुकसान कर रहे हैं। गांवों में पैड का प्रयोग आज के समय में भी नहीं होना चिंतनीय है।

मासिक धर्म में महिला खानपान का ख्याल रखें

विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. जया उप्रेती ने कहा कि मासिक धर्म में महिला खानपान का ख्याल रखें। मासिक धर्म की तकलीफ को आसानी से ग्रहण करें। स्वच्छता का ध्यान रखें। सर्वाइकल कैंसर कर ध्यान रखें।

समाज में मासिक धर्म को लेकर आ रही कुरीतियों को लेकर सजगता जरूरी
कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. अरविंद अधिकारी ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग द्वारा एक संवेदनशील विषय को चुना है। मासिक धर्म को लेकर अब जागरूकता आ रही है। मासिक धर्म को लेकर महिला और पुरुषों को जानना चाहिए।  समाज में मासिक धर्म को लेकर आ रही कुरीतियों को लेकर सजगता जरूरी है। मासिक धर्म और सर्वाइकल कैंसर को लेकर जानने की आवश्यकता है। कार्यशाला अपने उद्देश्यों को पूरा करे,ऐसी कामना करता हूँ।

सोच संस्था द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सराहा

बीज वक्ता और सोच संस्था की हिमांशी भंडारी ने बताया कि मासिक धर्म को लेकर आज संवेदनशील होकर सोचना होगा। उन्होंने  सोच संस्था द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सराहा। महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म को लेकर समाज को जागरूक कर रही है। मासिक धर्म के दौरान मानसिक रूप से कई बदलाव होते हैं। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में अमूमन होने वाला दूसरा महत्वपूर्ण कैंसर है। उन्होंने मासिक धर्म की शुरुआत, गर्भाशय, मासिक धर्म श्रृंखला, मासिकधर्म के लक्षण आदि पर विस्तार से जानकारी दी।

मासिक धर्म को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उनको दूर करते हुए आगे बढ़ना है

अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि मासिक धर्म को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उनको दूर करते हुए आगे बढ़ना है। ताकि हम अच्छा जीवन जी सकते हैं। मासिक धर्म को देश में संस्कार के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म के दौरान साफ स्वच्छता का ध्यान रखना है।  महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सहयोग करें। मासिक धर्म को लेकर एक नई सोच के साथ कार्य करें।
कार्यक्रम से पूर्व दीप प्रज्ज्वलित कर अतिथियों का बैज अलंकरण कर स्वागत किया गया।

कार्यशाला में उपस्थित रहे

इस कार्यशाला में समाजशास्त्र विभाग  प्रो.निर्मला पंत,डॉ. कुसुमलता आर्या, डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. योगेश मैनाली,इंजीनियर रवींद्रनाथ पाठक, मयंक पंत (सदस्य,सोच संस्था),राहुल जोशी (सदस्य,सोच संस्था),डॉ. कालीचरण,  कमल किशोर, डॉ. प्रज्ञा वर्मा, डॉ. ज्योति किरन,देबकी, इंद्रमोहन पंत, , डॉ.लल्लन सिंह, डॉ.साक्षी तिवारी, भानु प्रताप सिंह, , नितिन रावत (सांस्कृतिक सचिव), पंकज कार्की (अध्यक्ष, छात्रसंघ), शेर सिंह बघरी, डॉ. शैली, डॉ.आस्था नेगी,डॉ.विमल कांडपाल  सहित जियारानी और शैलजा छात्रावास की छात्राएं, सैकड़ों संख्या में युवा एवं शिक्षक उपस्थित रहे।