अल्मोडा : प्रसिद्ध आन्दोलनकारी कवि गिर्दा की ग्यारहवी पुण्य तिथि पर उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने गिरीश तिवारी गिर्दा को भावभीनी श्रद्धान्जली दी। एड जगत रौतेला की अघ्यक्षता मे आयोजित संगोष्ठी मे उत्तराखण्ड के सुलगते सवालो पर परिचर्चा का संचालन करते हुवे उ लो वा महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि गिर्दा के गीतो ने उत्तराखण्ड की परिकल्पना को साकार किया गिर्दा राज्य के सभी आन्दोलनकारी ताकतो के बीच सेतु का कार्य करते रहे वाहिनी के सभी आन्दोलनो मे गिर्दा ने अपने गीतो से जान फूकी। किन्तु अभी भी सपनो का उत्तराखण्ड नही बन पाया है
शिथिल भू कानूनो के चलते जमीनो पर सबसे अधिक दवाव उत्तराखण्ड मे ही पडा है
उ लो वा के प्रवक्ता दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि राज्य बनने के इऩ बीस सालो मे शिथिल भू कानूनो के चलते जमीनो पर सबसे अधिक दवाव उत्तराखण्ड मे ही पडा है भारत मे केवल उत्तराखण्ड ही एकमात्र पर्वतीय राज्य है जहा भू कानून सिथिल है । पूजीपति गैर उत्पादक कार्यो के लिये पहाडो मे जमीने खरीद रहे है । तथा अपनी अय्यासियो का अड्डा बना रहे है । राज्य मे रोजगार पलायन का मुद्दा प्रमुख है। गांव के गांव उजड गये है ।आज जीवन के लिये न्यूनतम सुविधाओ के लिये आम जनता परेशान है किसानो व आम लोगो के आन्दोलनो की उपेक्षा बडा मामला है । एडवोकेट जगत रौतेला ने कहा कि धार्मिक मामलो की वजह से दुनिया संकट मे है विश्व शान्ति व विकास के लिये सामाजिक सोच व सकारात्मक विकास जरूरी है। यह गिर्दा का चिन्तन था ।कृणाल तिवारी ने गिर्दा का प्रसिद्ध गीत हम लडते रया भुला हम लडते रौलो गाया अजय मित्र सिह विष्ट ने सबका धन्यवाद किया ।
विचार व्यक्त किये
सभा मे अजय मेहता , रेवती बिष्ट , शमशेर जंग विशन दत्त जोशी जंगबहादुर थापा , हारिस मुहम्मद आऎदि ने विचार व्यक्त किये तथा गिर्दा को श्रद्धान्जली दी ।