देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। एक ऐसी जरूरी खबर हम आपके सामने लाए हैं। इसरो के दूसरे मिशन सूर्य मिशन से जुड़ी अच्छी खबर है।
आदित्य-एल 1 ने रचा इतिहास
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मिशन चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अपने पहले सूर्य मिशन को लेकर इतिहास रचने वाला है। इसरो का स्पेसक्राफ्ट आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी खबर है। इसरो ने आज यानी शनिवार को अपने ‘आदित्य-एल1’ यान को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लैंग्रेज पॉइंट 1 पर हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। इसरो की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई दी है।
जानें आदित्य एल1 मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था। इसरो के पहले सौर मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं- सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन करना; क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी का अध्ययन, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत, सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू पार्टिकल्स और प्लाज्मा वातावरण का अवलोकन करना; और सौर कोरोना और उसके तापन तंत्र की भौतिकी का अध्ययन। इसके अलावा मिशन का उद्देश्य कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का अध्ययन करना भी है: तापमान, वेग और घनत्व; सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति; कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) पर होने वाली प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करना, जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं। सौर कोरोना में मैग्नेटिक फील्ड टोपोलॉजी और मैग्नेटिक फील्ड मेजरमेंट; और स्पेस वेदर के लिए जिम्मेदार (सोलर एयर की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता) कारकों का अध्ययन शामिल है।