अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखण्ड लोक वाहिनी की बैठक वाहिनी के कैम्प कार्यालय मित्र भवन में रेवती बिष्ट की अध्यक्षता मे सम्पन्न हुई।
जंगल आग के मृतकों पर जताया शोक
इस बैठक मे वक्ताओं ने कहा कि जनपद मे भीषण अग्निकाण्ड की चपेट मे आकर अब तक नौ लोग अपनी जान गवा चुके हैं और अरबों की वन सम्पदा नष्ट हो गई है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती संविदा व ठेकेदारी में कर रही है।।जिसमें आग बुझाने वाले कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की पूर्व ट्रेनिंग नही दी गई है। कहा कि अधिकारी इन अन्ट्रेन्ड लोगों को मौत के मुह में धकेल रहे हैं। जिसका परिणाम विगत दिवस बिनसर जंगल में चार लोगों की मौत व चार लोगों के गंम्भीर रूप से घायल होने के परिणाम के रूप मे सामने आ गय।
चिपकों आन्दोलन से वनों के प्रति लोगों में था अपनापन
वरिष्ठ नेता जगत रौतेला ने कहा कि इस विषम परिस्तिथि के लिये वन विभाग की नीतियाँ भी कम जिम्मेदार नही है। वन विभाग ने जनता व विभाग के बीच नियम कानूनों की एक ऐसी खाई खोद दी है, जिससे जनता का वनों से मोह भंग हो गया है। चिपकों आन्दोलन से वनों के प्रति लोगों में जो अपनापन पैदा हुआ, वह सरकार की नीतियो से अब मोह भंग भी हो रहा है। महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि ब्रिटिश भारत में जनता को वनों मे जो अधिकार प्राप्त थे वह आजाद भारत मे समाप्त कर दिये है। चिपको आन्दोलन ने जो जागृति फैलाई वह समाप्त हो रही है। वाहिनी के उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा ने कहा कि प्रतिवर्ष वनों में आग लगती रही है पर वन विभाग आग बुझाने के लिये कर्मियों को प्रशिक्षण व जीवन रक्षक किट भी उपलब्ध नही करा पाया है। अजयमित्र सिंह बिष्ट ने कहा कि जो लोग आग बुझाने मे जल कर मर गये उनके परिजनों को पर्याप्त मुआवजे के साथ ही वन विभाग में स्थाई रोजगार दिया जाय। उन्होंने कहा कि जब से ग्रामीणों से उनके हक छीन लिये है 75%भू भाग वनों से आच्छादित वनों को वन विभाग नही बचा सकता।
की यह मांग
वाहिनी के प्रवक्ता दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि सरकार को बन अधिनियम 1980 मे संसोधन कर जनपक्षीय व वनों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले जनपक्षीय कानून बनाने चाहिये। अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही रेवती बिष्ट ने कहा कि बिनसर समेत विभिन्न स्थानों मे अब तक मारे गये लोगों के प्रति वे दुख प्रकट करते है। वाहिनी माँग करती है कि सरकार मृतको को एक- एक करोड़ रुपये मुआवजा दे तथा मृतको तथा अपंग हो गये घायलो के परिजनो को वन विभाग मे स्थाई नियुक्ति दे। वनों में घास तथा पिरुल व सूखी लकडियों को उठाने की अनुमति मिलनी चाहिये। साथ ही दोषियों को दण्डित किया जाए।
रहें मौजूद
बैठक में रेवती बिष्ट , जंगबहादुर थापा , एड जगत रौतेला , पूरन चन्द्र तिवारी, अजयमित्र बिष्ट, दयाकृष्ण काण्डपाल , अजय सिंह मेहता, मुहम्मद हारिस आदि उपस्थित रहें।