आज 23 नवंबर है। आज काल भैरवाष्टमी है। काल भैरवाष्टमी 23 नवंबर को है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी मनाई जाती है। इसे कालाष्टमी भी कहते हैं। काल भैरवाष्टमी का हिंदुओं में बहुत महत्व है। यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। लोग इस विशेष दिन पर उपवास रखते हैं और भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं।
रूद्रावतार के रूप में हुई काल भैरव की उत्पत्ति
भगवान शिव के अंश काल भैरव की उत्पत्ति रुद्रावतार के रूप में हुई। शिव जी का अपमान करने पर काल भैरव प्रकट हुए थे और और ब्रह्म देव का एक सिर काट दिया था। काल भैरव इतने भयंकर और उग्र स्वरूप वाले हैं कि उनसे तो स्वयं काल भी भयभीत रहता है। आज के दिन काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट, दोष और रोग दूर होते हैं। उनकी कृपा से अकाल मृत्यु का योग कट सकता है। आज काल भैरव के मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है क्योंकि काल भैरव तंत्र और मंत्र के देवता हैं।
जानें शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर शुरू हो गई है और अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 7 बजकर 56 पर समाप्त हो जाएगी।
⏩जानें काल भैरव जयंती का महत्त्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव भगवान शिव की भयावह अभिव्यक्ति हैं। इस दिन को भगवान काल भैरव की जयंती के रूप में मनाया जाता है इसलिए भगवान काल भैरव या भगवान शिव के भक्तों के लिए इस दिन का बहुत महत्व है। यह दिन अधिक शुभ माना जाता है जब इसे मंगलवार और रविवार के दिन मनाया जाता है क्योंकि ये दिन भगवान काल भैरव को समर्पित होते है। इसे महा काल भैरव अष्टमी या काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।