आज 05 फरवरी 2025 है। आज माघ नवरात्रि का सातवां दिन है। गुप्त नवरात्रि का आज सातवां दिन है। सातवें दिन मां धूमावती देवी की उपासना की जाती है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। माघ व आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
माघ व आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।
जानें पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब माता सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान होने के कारण अपने पिता राजा प्रजापति द्वारा आयोजित हवन कुंड में अपनी इच्छा अपने आप को जलाकर भस्म कर दिया था। माना जाता है कि तब उनके शरीर से जो धुआं निकला था उसी धुंए से मां धूमावती प्रकट हुई थी। अर्थात मां धूमावती धुंए के स्वरूप में माता सती का भौतिक रूप है। मां धूमावती को दुख दूर करने वाली देवी भी माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार यह भी बताया गया है कि दुर्भाग्य की देवी धूमावती मां लक्ष्मी की बड़ी बहन है। परंतु इनका स्वरूप मां लक्ष्मी से बिल्कुल उल्टा है। शास्त्रों के अनुसार मां धूमावती पीपल के पेड़ में निवास करती हैं। मान्यताओं के अनुसार धूमावती को दरिद्रता, अलक्ष्मी और ज्येष्ठा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाप, आलस्य, गरीबी, दुख और कुरूपता पर मां धूमावती का आधिपत्य रहता है।
सुबह-शाम करें सप्तशती का पाठ
गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में भी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में नौ दिन के लिए कलश स्थापना की जा सकती है। यदि कलश की स्थापना की है तो सुबह-शाम मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करें। दोनों ही समय आरती करना भी अच्छा होगा। मां को दोनों समय भोग भी लगाएं। माघ गुप्त नवरात्रि में साधकों को नियमों के साथ कुछ विशेष मंत्रों का भी ध्यान रखना चाहिए, जिनका उच्चारण करने से मां भगवती प्रसन्न हो जाती है और भक्तों को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसे में साधकों को माघ नवरात्रि का शुभारंभ दुर्गा चालीसा के पाठ से अवश्य करना चाहिए।