विश्व में किसी भी बीमारी से होने वाली मृत्यु में सीओपीडी भी एक बड़ा कारण हैं। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी एक श्वसन रोग है जिससे दुनिया भर में काफी लोग प्रभावित होते हैं। ये रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है जिससे व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
एम्स के निदेशक और श्वसन रोग विशेषज्ञ रणदीप गुलेरिया बताते हैं कि सीओपीडी का अर्थ क्रोनिक यानी लंबी बीमारी, ऑब्सट्रक्टिव- सांस की नली में सिकुड़न कर देना, पल्मोनरी डिजीज- फेफड़े से संबंधी बीमारी है। डॉ गुलेरिया बताते हैं कि सीओपीडी से ग्रस्त व्यक्ति में हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाता है। खास कर कोरोना काल में ऐसे लोगों को विशेष सावधानी रहना है और बचाव के उपाय करना है।
सीओपीडी के कारण
अधिक दूषित वातावरण में रहना, खाने बनाने में लकड़ी, उपली के प्रयोग में धुआं निकलना से जब सांस के जरिये फेफड़े में जाता है तो प्रभावित करता है। लड़कियों में खास कर युवावस्था में होता है जिससे बचा जा सकता है।
सीओपीडी के लक्षण
सांस लेने में आवाज आना
छाती में जकड़न
सांस फूलने लगना खास तौर पर शारीरिक गतिविधियां करते समय
गले में अवरोध या परेशानी
सर्दी के मौसम में खांसी बढ़ने लगती है
जिनमें सीओपीडी ज्यादा होती है उन्हें घर में भी ऑक्सीजन लेना पड़ जाता है।
सीओपीडी से बचाव के उपाय
प्रदूषित वातावरण से बचें
धुम्रपान न करें
घर में अंदरूनी प्रदूषण को बढ़ाने वाले कारकों पर ध्यान दें
खाना पकाने के लिये लकड़ी, उपले या कोयले का इस्तेमाल न करें
योग व प्राणायाम करें
सर्दियों के मौसम में विशेष सावधानी बरतें