उत्तराखण्ड में होली के उत्सव की धूम है। कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में होल्यार हाथ में चीर लेकर घर-घर जाकर होली के गीतों को गा रहे हैं। उधर बागेश्वर, अल्मोड़ा और चंपावत में भी होली के गीतों की खासी धूम मची हुई है। कुमाऊं के सभी गांवों में खड़ी होली चरम पर पहुंच गई है।
उत्तराखण्ड में होली का त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू हो जाता है
खड़ी होली में महिलाएं भी घर-घर जाकर होली के गीतों के गायन में मस्त हैं। महिलाएं ढोल मजीरे की थाप पर कदम ताल करते हुए होली के गीत गा रही हैं। उत्तराखण्ड में होली का त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू हो जाता है। राज्य के कुमाऊं मंडल में होली का एक विशेष महत्व है, जो उत्तराखंड की संस्कृति को प्रदर्शित करता है। कुमाऊनी होली तीन तरह से मनाई जाती है, जिसमे खड़ी होली, बैठकी होली शामिल है।
कुमाऊं की खड़ी होली रंग वाली होली के कुछ दिनों पहले शुरू हो जाती है
कुमाऊं की खड़ी होली रंग वाली होली के कुछ दिनों पहले शुरू हो जाती है। जिसमे गांव के पुरुषो और बच्चों की टोली घर-घर जाकर होली के उत्तराखंडी लोकगीत गाते हैं। जिसमे उत्तराखंड के पारम्परिक वेश-भूषा का इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं कुमाऊँ में होली से कुछ दिन पूर्व चीरबंधन और रंग पड़ने के साथ राग फाग व रंग के पर्व खडी होली का इंद्रधनुषी छटा का आगाज हो गया है।