उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड के विकास की अवधारणा को लेकर 25 अप्रैल से न्याय के देवता कहे जाने वाले गोल्ज्यू देवता की संदेश यात्रा शुरू हो गई है।
02 मई को अल्मोड़ा पंहुचेगी यात्रा-
यह यात्रा 25 अप्रैल को पिथौरागढ़ जिले के बोना गांव से 2200 किलोमीटर दूरी तय कर 05 मई कोनैनीताल के घोड़ाखाल मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी। 13 दिनों की यात्रा के दौरान 26 पड़ाव पारकर और 150 गांवों के लोगों से संवाद कर स्थानीय आवश्यकता, गांव में संसाधनों की उपलब्धता व भविष्य की संभावनाओं पर एक शोध पत्र तैयार किया जाएगा। इस यात्रा का उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा कृषि क्षोत्र को बढ़वा देना है। यह यात्रा धरती धार (बोना गांव) से शुरू होकर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर स्थित गोलू और देव मंदिर से होते हुए 02 मई को अल्मोड़ा पहुंचेगी। जिसमें इस यात्रा का भव्य स्वागत किया जाएगा। इस यात्रा में बड़ी संख्या में जनता से शामिल होने की अपील की गई है।
न्याय के देवता गोल्ज्यू देवता-
उत्तराखंड में गोल्ज्यू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि अगर किसी के साथ न्याय ना हुआ तो वह गोल्ज्यू देवता के मंदिर में अर्जी लगाकर अपनी समस्या रख सकता है और गोल्ज्यू देवता उसका हल न्यायपूर्ण तरीके से करते हैं। गोल्ज्यू देवता लोगों की मन्नत तो पूरी करते ही हैं। इस मंदिर में विराजमान भगवान गोल्ज्यू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। कहते हैं कि जिन लोगों को कोर्ट कचहरी और पंचयतों से न्याय नहीं मिल पाता, वे यहां विशेष तौर पर आते हैं। गोल्ज्यू देवता का मूल निवास चंपावत है। वर्तमान में उनका प्रसिद्ध मंदिर अल्मोड़ा के चितई और नैनीताल के घोड़ाखाल इलाके में स्थित है।