उत्तराखंड की रक्षक मानी जाने वाली मां धारी देवी की आंखों से आ रहें आंसू, विडियो हो रहा वायरल, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड से जुड़ी खबर है। हमारे देश में प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों की कोई कमी नहीं है। एक ऐसा ही मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से थोड़ी दूरी पर स्थित है मां धारी देवी का। उत्तराखंड की रक्षक मानी जाने वाली मां धारी देवी बीते 28 जनवरी को अपने पुराने स्थान पर विराजित हो गई हैं।

मां धारी देवी की आंखों से बह रहे आंसू

जिसके बाद से उनसे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि मां की आंखों से आंसू आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मां अपने पुराने स्थान पर आने के बाद भावुक हो गई। जिस वजह से इस तरह का क्षण सामने आया है। वायरल‌ हो रहें इस विडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की गई है। इस वायरल विडियो के संबंध में बताया गया है कि यह विडियो पुराना है क्योंकि इस वायरल विडियो में मां ने चांदी का मुकुट पहना हुआ है और अभी मां को सोने का मुकुट पहनाया गया है। खबरी बाॅक्स भी इस वायरल विडियो की पुष्टि नहीं करता है।

इससे पहले भी हुआ था विडियो वायरल

इसके अलावा मंदिर समिति के लोगों का दावा है कि ऐसा ही एक वीडियो 2013 में सामने आया था, जब मां के मंदिर को अपलिफ्ट किया गया था। मां धारी के मंदिर को साल 2013 में तोड़ दिया गया था और उनकी मूर्ति उनके मूल स्थान से हटा दी गई थी। जिसके बाद राज्य में भयानक बाढ़ आई थी। इसमें हजारों लोग मारे गए थे। आद्य शक्ति मां धारी देवी मैती समिति के अध्यक्ष विकास मोहन ने बताया कि 2013 में भी ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ था। तब भाजपा की नेता उमा भारती की ओर से मूर्ति पर इस तरह का एहसास किया गया था। तब ये माना गया था कि मां अपने स्थान से हटाने पर भावुक हो गई हैं। जिस वजह से मां की आंखों में आंसू आ गए हैं। जिसके बाद इसे मां के चमत्कार से जोड़ा गया।

जानें पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भीषण बाढ़ से मंदिर बह गया था। साथ ही साथ उसमें मौजूद माता की मूर्ति भी बह गई और वह धारो गांव के पास एक चट्टान से टकराकर रुक गई। कहते हैं कि उस मूर्ति से एक ईश्वरीय आवाज निकली, जिसने गांव वालों को उस जगह पर मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके बाद गांव वालों ने मिलकर वहां माता का मंदिर बना दिया। पहले मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर बसा था परन्तु श्रीनगर डैम बनने के बाद मंदिर को उसके मूल स्थान से विस्थापित किया गया जिसके बाद माता धारी देवी ने स्थानीय लोगों पर प्रकोप करना प्रारम्भ कर दिया, जिसके फलस्वरूप मंदिर को पुनः उसी स्थान (अलकनंदा नदी के किनारे) जो कि अब जलमग्न हो चूका था वही पर बड़े-बड़े स्तम्भ के सहारे माता के मंदिर को जमीन से स्तम्भ की मदद हवा में उठाया गया पुजारियों की मानें तो मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग से ही स्थापित है। हर साल नवरात्रों के अवसर पर धारी देवी की विशेष पूजा की जाती है। देवी काली के आशीर्वाद पाने के लिए दूर और नजदीक के लोग इसके पवित्र दर्शन करने आते रहे हैं।मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी मौजूद है।

तीन बार बदलती है रूप

मां धारी देवी का मंदिर राष्ट्रिय राजमार्ग 58 पर श्रीनगर और रुद्रप्रायग के बीच अलकनंदा नदी के किनारे बसा हैं। श्रीनगर से मंदिर की दूरी लगभग 15KM हैं जबकि रुद्रप्रायग से 20KM के आस पास हैं, मंदिर की दूरी राष्ट्रीय राजमार्ग से 500 मीटर नीचे की ओर हैं। यह मंदिर इस क्षेत्र में बहुत पूजनीय है। जो देवी काली को समर्पित मंदिर हैं। लोगों का मानना है कि यहाँ धारी माता की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं पहले एक लड़की फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला के रूप में नजर आती है।