प्रतिस्पर्धा के इस दौर में दुनियाभर की तमाम कंपनियां अपने प्रोडक्ट के बेहतरीन होने का दावा करती हैं। प्रोडक्ट की ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो इसके लिए विज्ञापनों पर खूब पैसे खर्च करती हैं, यहां तक कि झूठे सर्वे दिखाती हैं। लेकिन अब ऐसे भ्रामक और झूठे और गुमराह करने वाले दावे पर सरकार लगाम लगा रही है। ताकि जनता इन झूठे विज्ञापनों के झांसे में ना आए।
श्योर विजन’ विज्ञापन को बंद करने का निर्देश दिया
इसी के तहत सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने नंबर वन सेंसिटिविटी टूथपेस्ट बताने वाले सेंसोडाइन टूथपेस्ट के बाद ‘श्योर विजन’ विज्ञापन को बंद करने का निर्देश दिया और झूठे और भ्रामक दावे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। श्योर विजन इंडिया कंपनी पर कार्रवाई दरअसल सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने चश्मा, लेंस बनाने वाली कंपनी श्योर विजन इंडिया पर भ्रामक विज्ञापन को लेकर कार्रवाई की है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने कहा, ‘कंपनी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की गई।’
क्या था कंपनी का दावा
कंपनी दावा करती है कि “श्योर विजन स्वाभाविक रूप से आंखों की रोशनी में सुधार करता है, आंखों की थकान दूर करता है, सिलिअरी मांसपेशी का व्यायाम कराता है; यह दुनिया की सबसे अच्छी यूनिसेक्स सुधार सामग्री है”। लेकिन जांच में कंपनी अपने उत्पाद के विज्ञापन में उसकी गुणकारिता से संबंधित अपने दावों को सही साबित करने में विफल रही। जांच नहीं दे पायी कोई प्रूफ जांच रिपोर्ट में कंपनी के दावों को फालतू पाया गया और इसे खारिज कर दिया गया, क्योंकि विज्ञापन वाले उत्पाद पर किए गए किसी भी शोध का संगठन ने कोई संदर्भ नहीं दिया। इसे ध्यान में रखते हुए, सीसीपीए ने देखा कि, उत्पाद “श्योर विजन” का विज्ञापन बिना किसी विश्वसनीय वैज्ञानिक अध्ययन के प्रकाशित किया गया था और कंपनी द्वारा विज्ञापन में किए गए अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए कोई मार्केटिंग रिसर्च नहीं किया गया था, जिससे उपभोक्ताओं को दृष्टि संबंधी परेशानी के संबंध में कंपनी की संवेदनशीलता की जानकारी मिलती हो।
सेंसोडाइन टूथपेस्ट पर 10 लाख का जुर्माना
सेंसोडाइन टूथपेस्ट पर 10 लाख का जुर्माना इससे पहले, सीसीपीए ने अपने भ्रामक विज्ञापन के लिए सेंसोडाइन टूथपेस्ट पर भी 10 लाख का जुर्माना लगाया था। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने भ्रामक प्रचार कर पूरी दुनिया के डेंटिस्टों द्वारा सुझाया और विश्व का नंबर वन सेंसिटिविटी टूथपेस्ट बताने वाले सेंसोडाइन टूथपेस्ट पर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने 10 लाख का जुर्माना लगाया है।
भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की
देश में किया सर्वे और बताया दुनियाभर का सर्वे इतना ही नहीं कंपनी अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए झूठा सर्वे तक दिखाया। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने बताया कि इन विज्ञापनों में दावा किया गया है कि सेंसोडाइन ‘दुनिया भर के दंत चिकित्सकों द्वारा सुझाया’, ‘दुनिया का नंबर वन सेंसिटिविटी टूथपेस्ट और ‘चिकित्सकीय रूप से सिद्ध’ राहत टूथपेस्ट है। लेकिन जांच के बाद सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी यानी सीसीपीए ने पाया कि कंपनी द्वारा अपने दावों के समर्थन के लिए दो बाजार का सर्वेक्षण किया गया था। दोनों ही सर्वे भारत में डेंटिस्टों पर हुए थे और इन्हीं के आधार पर विदेशी डेंटिस्टों की राय जाहिर कर दी गई। 13 कंपनियों ने अपने विज्ञापन वापस लिए उपभोक्ता की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसका नतीजा यह हुआ कि 13 कंपनियों ने अपने विज्ञापन वापस ले लिए और 3 कंपनियों ने सुधारात्मक विज्ञापन दिए। इसके अलावा, भ्रामक विज्ञापनों और व्यापार के अनुचित तरीके के खिलाफ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए, सीसीपीए ने दो सलाह भी जारी की हैं।
ISI मार्क का सामान खरीदें
विक्रेताओं को एडवाइजरी पहली एडवाइजरी में उद्योग के हितधारकों को भ्रामक दावे करने से रोकने के लिए कहा गया था, जो कोविड -19 महामारी की स्थिति का लाभ उठाते हैं और किसी भी सक्षम और विश्वसनीय वैज्ञानिक साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं हैं। दूसरी एडवाइजरी में कहा गया कि प्रत्येक मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स इकाई को विक्रेता के शिकायत निवारण अधिकारी का नाम, पदनाम और संपर्क जानकारी सहित विक्रेता द्वारा प्रदान की गई सभी सूचनाओं को प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता होती है। ISI मार्क का सामान खरीदें इसके अलावा सीसीपीए उपभोक्ताओं को भी ऐसे सामान खरीदने से पहले सचेत करते हैं जो बिना ISI मार्क के नहीं हैं और केंद्र सरकार द्वारा अनिवार्य उपयोग के लिए निर्देशित BIS मानकों का उल्लंघन करते हैं।