अल्मोड़ा : भारत की आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पर्यटन विभाग द्वारा चित्रकला विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के सहयोग से होली डे होम में आर्टिस्ट सिंपोजियम एंड एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम (आर्ट) का समापन समारोह आयोजित हुआ। दिनांकः 20 से 24 अगस्त तक चले इस एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो0 शेखर चंद्र जोशी, अतिथि रूप में प्रख्यात वरिष्ठ कलाकार मो0 सलीम, प्रो0 राम विरंजन, अध्यक्ष रूप में दृश्यकला संकाय की संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष, चित्रकला प्रो0 सोनू द्विवेदी ‘शिवानी‘, कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ0 संजीव आर्या मंच पर विराजमान रहे।
सभी कलाकारों के चित्रों से कला गैलरी हमेशा गुलजार रहेगी
इस आर्टिस्ट सिम्पोजियम एंड एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम के सह संयोजक डॉ0 संजीव आर्या ने कहा कि देशभर के कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों से इस कलाभूमि अल्मोड़ा को समृद्ध बनाया है। इन सभी कलाकारों के चित्रों से कला गैलरी हमेशा गुलजार रहेगी। इन पांच दिनों में कला का अद्भुत संकलन हुआ है। जिसको उदयशंकर आर्ट गैलरी में सुशोभित किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अकादमिक कार्यां के लिए बेहतर साबित हुई है। कला के आदान-प्रदान के लिए यह कार्यक्रम कला क्षेत्र को सम्मानित कराते हैं। उन्होंने सभी कलाकारों को इस भूमि से लेकर जाने के लिए आह्वान किया। डॉ0 संजीव ने कहा कि पर्यटन विभाग ने कलाकारों को जोड़ने के लिए विशेष काम किया है। भविष्य में भी हम अपना सहयोग देकर देशभर के कलाकारों को लेकर काम करेंगे। उन्होंने विगत पांच दिन की रूपरेखा प्रस्तुत की और अतिथियों, जिला प्रशासन, जिला पर्यटन विभाग के समस्त अधिकारियों, कर्मियों का आभार व्यक्त किया।
कलाकार अपनी कृति बना लेता है
इस अवसर पर प्रख्यात कलाकार प्रो0 राम विरंजन ने कहा कि देशभर के कलाकारों का अल्मोड़ा की भूमि में कला के आदान-प्रदान के आगमन हुआ है। कला के आदान-प्रदान के लिए आयोजित यह कार्यक्रम निश्चित रूप से सफल हुआ है। कला का बीज यहां पनप गया है, अब यह पुष्पित एवं पल्लवित होना चाहिए। जिससे की युवा चित्रकारों को इसका लाभ मिले। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा में कला को लेकर यह कार्यशाला का आयोजित होने से विचार, तकनीकों, शैलियों का आदान-प्रदान भी हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकारों, विश्वविद्यालयों को कला को बढ़ावा दिए जाने के लिए दिल खोल के कार्यक्रम संचालित किए जाने की आवश्यकता है। जिससे की कलाकारों का मनोबल बढ़ सके। उन्होंने कहा कि कलाकार अपनी कृति बना लेता है, उसका वह चित्र 20-25 वर्षों बाद बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उसका परिणाम बाद में दृष्टिगोचर होता है। कला के संवर्धन के लिए ऐसा प्र्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सरकारों को ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन आवंटित करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सिम्पोजियम के सह संयोजक डॉ0 संजीव आर्या को अपनी बधाईयां प्रेषित करते हुए कहा कि देशभर के कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए डॉ0 संजीव बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक नगर में अपनी पहचान को जीवित रखने के लिए यह प्रयास भविष्य में और अधिक सुंदर हो। उन्होंने कहा कि प्रकृति को यहां के कलाकार अपने चित्रों में स्थान दें।
कलाकार यतिन कांडपाल ने कहा कि कला के आदान-प्र्रदान के लिए यह कार्यक्रम हमारे लिए एक डिग्र्री लेने जैसा है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ कलाकारों के सानिध्य में हमने कला के विभिन्न आयामों को सीखा है। ऐसे कार्यक्रम कला का उत्साहवर्धन करते हैं।
कला की बेहतरी के लिए इस प्रयास को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता
कलाकार डॉ0 नरेंद्र्र ने कहा कि कला की बेहतरी के लिए इस प्रयास को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यह राष्ट्रीय स्तर का प्लेटफार्म है। डॉ0 संजीव आर्या ने हम सभी को एक दूसरे से जुड़ने का मौका दिया है। पर्यटन विभाग ने कलाकारों के सम्मान के लिए यह पुनीत कार्य किया है।
कलाकार डॉ0 लक्ष्मण ने कहा कि सिंपोजियम में अकादमिक कार्य हुआ है। यह अकादमिक कार्य कला के ़क्षेत्र में एक बहुत बेहतर प्रयास है। ऐसे प्रयासों से कला और कलाकारों, दोनों का ही सम्मान बना रहता है। उन्होंने कहा कि यहां के युवा कलाकारों को क्षेत्रीय भ्रमण कराए जाने की आवश्यकता है, ताकि वह भ्रमण कर अपनी स्मृतियों में नवीन कल्पनाएं सृजित कर सके। जिससे वह कला में उस स्मृतियों को उकेर सके। उन्होंने कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए सिंपोजियम से जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, और कलाकारों की सराहना। उन्होंने इस कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ0 संजीव आर्या को बधाईयां दी।
कलाकार कर्नल भारत भंडारी ने कहा कि कला के उन्नयन के लिए यह आर्ट सिंपोजियम बहुत बेहतरीन रहा है। कलाकारों ने इन पांच दिनों में एक-दूसरे की कला तकनीकों को आत्मसात किया है। हम आपस में मिले और हमने कला सीखी है। उन्होंने आयोजकों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि हम कलाकार हैं और कलाकारों के लिए कलाकृति बहुत महत्वपूर्ण होती है।
कलाकारों ने एक मंच पर आकर बेहतर प्रयास किया है।
कलाकार छिमन डांगी ने कहा कि कला के विकास के लिए कलाकारों ने एक मंच पर आकर बेहतर प्रयास किया है। यह राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम रहा है। जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही है।
कलाकार सीमा विश्वकर्मा ने कहा कि कलाकार बोल नहीं पाता, वह अपने चित्रों के माध्यम से व्यक्त करता है। कलाकार का जीवन काफी कठिन होता है।
युवा कलाकार सुनीता ने कहा कि वरिष्ठ कलाकारों के माध्यम से हमने ब्रश पकड़ना, इंफैक्ट देना, कला की तकनीक और शैली आदि को नजदीक से देखा है। हमारे लिए यह सिंपोजियम सीखने के लिए ज्ञानवर्धक रही है।
अपनी कला से दूसरे को लाभ पहुंचाने का प्रयास करे
अतिथि और वरिष्ठ कलाकार मो0 सलीम ने कहा कि सभी कलाकार अपनी रचनात्मक का परिचय दें। वह चित्र को सुंदर बनाने का प्रयास करें। कलाकार अपनी कृति से खुशियां बांटने का प्रयास करें। अपनी कला से दूसरे को लाभ पहुंचाने का प्रयास करे। वह अच्छा काम करें, अच्छा विचार समाज में साझा करें, अधिक काम करें। युवा कलाकारों के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है। इसलिए युवा कलाकार मेहनत करें। युवा कलाकार सीखने पर ज्यादा ध्यान दें।
पत्रकार डॉ0 ललित चंद्र जोशी ने कहा कि सांस्कृतिक भूमि अल्मोड़ा में कला को लेकर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होना सराहनीय और ऐतिहासिक है। उन्होंने पर्यटन विभाग एवं चित्रकार डॉ0 संजीव आर्या के प्रयासों को सराहा और कहा कि डॉ0 संजीव आर्या जी द्वारा देशभर के कलाकारों को एक मंच पर लाकर बेहतर कार्य किया है। यह इस सांस्कृतिक भूमि का इतिहास बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि कलाकार इस भूमि की संस्कृति, कला, परम्परा, धर्म, इतिहास, पर्यावरण को अपने चित्रों में स्थान दें। डॉ0 जोशी ने ‘चित्रकार बोलते नहीं! उनकी अगुलियां में फसी हुई तूलिका बोलती है‘ कविता का पाठ किया।
विश्वविद्य़ालय और सभी कलाकारों की सराहना की
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शैक्षिक अधिष्ठाता और कलाकार प्रो0 शेखर चंद्र जोशी ने आयोजन के लिए डॉ0 संजीव आर्या, पर्यटन विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्य़ालय और सभी कलाकारों की सराहना की। अध्यक्षीय उद्बोधन में दृश्यकला संकाय की संकायाध्यक्ष एवं चित्रकला विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 सोनू द्विवेदी ‘शिवानी‘ ने कहा कि इस भूमि में देवत्व की अनुभूति होती है, तभी कलाकारों को यह भूमि भा जाती है। उन्होंने कहा कि हम अकादमिक कार्य करते हुए अपने कला को भूल जाते हैं। हमें सोये हुए कलाकार को जगाना होगा और कला की सर्जना करनी होगी।
आए हुए कलाकारों प्रमाण पत्र देकर अतिथियों ने सम्मानित किया
संचालन कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ0 संजीव आर्या ने किया। ज्ञातव्य है कि इन चित्रकारों ने अपने चित्रों में स्वाधीनता संग्राम सेनानियों, नारी सौंदर्य, प्रकृति, लोक संस्कृति, नगरीय संस्कृति आदि को इन चित्रों में स्थान दिया। इन चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई और इस कार्यक्रम में देशभर के ख्यातिलब्ध कलाकारों ने भागीदारी की। आए हुए कलाकारों प्रमाण पत्र देकर अतिथियों ने सम्मानित किया।
इस अवसर पर अमित कुमार, हिंमांशु आर्या, पंकज पाल, ऋतुराज, विभुवर, डॉ0 सागर, हितेश कुमार, सुनीता तिवारी, मीनाक्षी जोशी सहित कई युवा कलाकार शामिल हुए।
माध्यम:
रिपोर्ट संकलनः डॉ0 ललित चंद्र जोशी ‘योगी‘
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग,
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, परिसर अल्मोड़ा