अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में आज नवसस्येष्टि यज्ञ होलीकोउत्सव का आर्य समाज अल्मोड़ा में आयोजन किया गया।
होली में रंग की जगह करें इनका इस्तेमाल
इस अवसर पर वैदिक यज्ञ मे गेहूं , जौ तिल, बालियों की बिशेष आहुतिया दी गई। साथ ही होली के वैदिक गीत गायन का आयोजन किया गया। होली के महत्व को प्रकाशित करते हुए आर्य समाज के मंत्री दया कृष्ण कांडपाल ने कहा की जब किसान शीतकाल में अपनी उपज के रूप मे गेहू की हरी -हरी बालियों का दिग्दर्शन करते है तो उन्हे भूनकर प्रसाद रूप मे खाने व उत्सव मनाने की परम्परा भी होती है। इसी खुशी के उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाते हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं की बाली के बीज का जो दाना होता है उसे प्रहलाद तथा बाल दाने के बाहर के खोल को होलीका कहा जाता है। उन्होंने कहा कि यज्ञ में जहां भुने हुए गेहूं के दानों का प्रसाद ग्रहण किया जाता है वही जो गेहूं के बाहर का भूसा होता है उसका लोग तिलक लगाते हैं और किसान अपनी खुशी के उपलक्ष में नाचते झूमते और गाते हैं। उन्होंने कहा कि मौसम बदलने के साथ ही यह प्रसन्नता का विषय भी है कि जाड़ों के सीजन के बाद गर्मी आरंभ हो रही है। अब किसानों की फसलों की काटाई आरम्भ होगी। एक प्रकार से यह शीतकालीन मौसम का अंतिम उत्सव तथा ग्रीष्मकालीन मौसम का शुभारंभ है। आज होली का जो विकृत स्वरूप सामने आ रहा है उसमें बाजार के बिषाक्त रंगों का प्रयोग होने से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अतः लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और जागरूक होना चाहिए। रंगों के रूप मे हल्दी नारियल, फूल तथा फूलों के रंगों से एक दूसरे पर प्रयोग हो सकता है।
यह लोग रहें उपस्थित
इस अवसर पर रंग छिड़के गए तथा होली के गीतों के साथ सभी को बधाइयां दी गई। कार्यक्रम में आर्य समाज के प्रधान दिनेश तिवारी, मंत्री दया कृष्ण कांडपाल, कोषाध्यक्ष गौरव भट्ट, उप प्रधान मोहन सिंह रावत, पुस्तकालय अध्यक्ष किशन सिंह रावत सहित कई महिला व पुरुष उपस्थित रहें।