अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में बीते कल गुरूवार को अल्मोड़ा जिला प्रशासन द्वारा बैठक आयोजित की गई। जिसमें राष्ट्र नीति की ओर से विनोद तिवारी द्वारा बैठक में भाग लिया गया। जिसमें जिलाधिकारी के माध्यम से भूमि सुधार कानून समिति और मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को 10 सूत्रीय ड्राफ्ट भेजा गया।
जिसमें निम्न बातें मुख्य हैं
संविधान संशोधन करके उत्तराखंड को पांचवी अनुसूची में शामिल कर अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग, ताकि बाहरी लोगों के लिए खरीद हो मुश्किल
राज्य सरकार से मूल निवास की तिथि 1950 करने को लेकर के अध्यादेश जारी करने की मांग, ताकि वर्ष 2000 की कट ऑफ को निरस्त किया जा सके। साथ ही स्थाई निवास प्रमाण पत्र रद्द हो।
साथ में कई अन्य प्रदेशों के विधि प्रावधानों जैसे:
हिमाचल प्रदेश के टेनेंसी और लैंड रिफॉर्म्स रूल्स 1975, सेक्शन 38A (3) के तहत, राज्य सरकार को जमीन खरीदने के मकसद को बताना होता है।
भूमि लेने वाले हिमाचल राज्य सरकार को सही और पूरी जानकारी प्रदान करते हैं। कि उन्हें किस मकसद से यहां जमीन खरीदने की इच्छा है, सरकार को यह पूरा बताना होता है। राज्य सरकार उनके मकसद को सुनती है और उसे विचार करती है। उसके बाद 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीदने की परमिशन दी जाती है। वैसे 30 साल से निवास कर रहे गैर हिमाचल के लोगों को रजिस्ट्री कर सकते हैं। यह संख्या पांच हजार लोगों की भी हो जाती है। लेकिन सिर्फ गैर कृषि भूमि! अगर इस राज्य में जमीन खरीदने की इच्छा रखते हैं, तो अन्य उपयोगों के लिए जमीन मिल सकती है। यहां पर्यटन का विकास कर सकते हैं, होटल या अन्य व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं, या फिर आत्मनिर्भर और ग्रामीण क्षेत्रों की विकास में मदद कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदने का इस्तेमाल महान स्वप्नों को साकार करने जैसा है।
विनिमय आदि के माध्यम से किसी गैर-कृषक को भूमि के हस्तांतरण पर रोक लगाती है। यहां ‘भूमि’ से तात्पर्य उस भूमि से है जो कृषि प्रयोजनों, चारागाह, बाग-बगीचों आदि के लिए अधिगृहीत या किराये पर दी गई हो। इसका तात्पर्य उस भूमि से नहीं है जो किसी शहर/गांव में किसी भवन के स्थल के रूप में अधिगृहीत हो।
झारखंड
छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 46 के अनुसार , ‘रैयत’ को अपनी जोत में भूमि हस्तांतरित करने से प्रतिबंधित किया गया है। इसमें 5 वर्ष से अधिक अवधि के लिए बंधक या पट्टे द्वारा हस्तांतरण शामिल है। रैयत वह व्यक्ति होता है जिसने खेती करने के उद्देश्य से भूमि पर अधिकार प्राप्त किया है, और इसमें रैयत का उत्तराधिकारी भी शामिल है।
नागालैंड
हमारे संविधान का अनुच्छेद 371A गैर-निवासियों को नागालैंड में ज़मीन खरीदने से रोकता है। ज़मीन केवल राज्य के निवासी आदिवासी ही खरीद सकते हैं।
सिक्किम
हमारे संविधान का अनुच्छेद 371F सिक्किम में बाहरी लोगों को ज़मीन बेचने और खरीदने पर प्रतिबंध लगाता है। केवल सिक्किम के निवासियों को ही राज्य में ज़मीन खरीदने की अनुमति है, और केवल आदिवासी ही आदिवासी क्षेत्रों में ज़मीन और संपत्ति खरीद सकते हैं।
उत्तराखंड
2003 में उत्तराखंड राज्य सरकार ने एक अधिनियम बनाया जिसके तहत बाहरी लोग आवासीय प्रयोजनों के लिए केवल 250 वर्ग मीटर कृषि भूमि खरीद सकते हैं।
कई प्रावधानों समेत समिति के सामने पर मुख्यमंत्री को भूमि सुधार कानून के लिए महत्वपूर्ण ड्राफ्ट को भेजा। ड्राफ्ट को रिसर्च करने की समिति में विनोद तिवारी लॉयर एडवोकेट हिमांशु जोशी, विधि विभाग के कई वरिष्ठ प्रोफेसर से और बच्चों की सहायता ली गई है।