आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में मासिक धर्म से सम्बन्धित जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन शोधार्थी आशीष पंत और पत्रकार राहुल जोशी के द्वारा किया गया। जिसका विषय महिला स्वास्थ्य एवं मासिक धर्म था। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. इला शाह अधिष्ठाता छात्र कल्याण, विभागाध्यक्षा समाज शास्त्र और अधिष्ठाता छात्र कल्याण एसएसजे परिसर अल्मोड़ा रही। इसके साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. भीमा मनराल विभागाध्यक्षा शिक्षा संकाय द्वारा की गई।
महिला स्वास्थ्य से संबंधित ‘डाक्यूमेन्ट्री फिल्म को दिखाया गया जिसका नाम “ब्लीडिंग राइट” है
इस अवसर पर डॉ. संगीता पवार के द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। कार्यक्रम के दौरान आशीष पन्त शोधार्थी (समाजशास्त्र) तथा उनके सहयोगी पत्रकारिता के छात्र राहुल जोशी के द्वारा महिला स्वास्थ्य से संबंधित ‘डाक्यूमेन्ट्री फिल्म को दिखाया गया जिसका नाम “ब्लीडिंग राइट” है। शोधार्थी आशीष पंत के द्वारा अपना परिचय दिया गया तथा अपनी डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म के विषय में जानकारी दी गई, इस फिल्म में महिलाओं में महावारी के दिनों की कठिनाई के विषय में बताया गया साथ ही शोधार्थी को शोध के दौरान किन समस्याओं का सामना करना पड़ा यह दिखाया गया है। इस जागरुकता कार्यक्रम के दौरान महिला स्वास्थ्य और मासिक धर्म विषय समस्याओं के विषय बताया गया है, महिलाओं के लिए पैड की आवश्यकता तथा महत्व की जानकारी दी गई है। शोधार्थी आशीष पंत तथा उनकी टीम के समक्ष आयी चुनौतियों को भी फिल्माया गया है डॉक्यूमेन्ट्री समाप्त होने के पश्चात आशीष पंत के द्वारा उनके पिछले दो वर्षो के अनुभवों को साझा किया गया। उनके द्वारा बताया गया कि शहरी क्षेत्र में महिलाओं को संभव हो तो मेसट्रुअल कप का प्रयोग करना चाहिए तथा उसके फायदे भी गिनाए गए। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि मासिक धर्म की अनियमितता होने पर या कोई समस्या होने पर चिकित्सकिय सलाह लेनी चाहिए।
परम्पराओं को तोड़ना आसान तो नहीं है परन्तु उन्हें धीरे-धीरे बदला जा सकता है
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. संगीता पवार के द्वारा प्रो. इला शाह को छात्रों को सम्बोधित करते हुए इस शोध से सम्बन्धित अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि परम्पराओं को तोड़ना आसान तो नहीं है परन्तु उन्हें धीरे-धीरे बदला जा सकता है। उन्होंनें बताया की मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, हमें इस विषय में अपने आस-पास के सभी लोगों से निसंकोच चर्चा करनी चाहिए। महावारी को लेकर इन भ्रांतियों को समाप्त करना उनके शोध का प्रमुख उद्देश्य है। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. नीलम के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
ये रहे उपस्थित
इस कार्यक्रम में डॉ. देवेन्द्र चम्याल, डॉ संदीप पाण्डेय, डॉ. ममता काण्डपाल, सुश्री अंकिता, डॉ. पूजा, श्रीमती ललिता रावल, सुवंती सरोज जोशी, मनोज कुमार तथा समस्त एम.एड एवं बी.एड. के विधार्थी उपस्थित रहे।