अल्मोड़ा: ललित कला अकादमी नई दिल्ली में एकल प्रदर्शनी (सोलो शो) का होगा आयोजन,  प्रो० शेखर चन्द्र जोशी द्वारा नाखून से बनाये गये 60 से अधिक चित्रों का किया जाएगा  प्रदर्शन

प्रो० शेखर चन्द्र जोशी का आयोजन ललित कला अकादमी नई दिल्ली की गैलरी न० 08 में दिनांक 01 से 07 सितम्बर 2022 तक एकल प्रदर्शनी (सोलो शो) का आयोजन होगा। सोलो शो का शीर्षक ‘आर्ट एण्ड कम्यूनिकेशन ऑफ स्पेस (ए०सी०ओ०एस०) है। इसके उद्घाटन को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठित चित्रकार पद्म श्री श्याम शर्मा ने अपनी सहमति दी है। उद्घाटन दिनांक 01 सितम्बर 2022 को सायं 5 बजे होगा।

इस प्रदर्शनी में उनके द्वारा हाथ के नाखून से बनाये गये 60 से अधिक चित्रों का प्रदर्शन किया जाना है

इस प्रदर्शनी में उनके द्वारा हाथ के नाखून से बनाये गये 60 से अधिक चित्रों का प्रदर्शन किया जाना है। डॉ जोशी इसे कागज पर बहुत सावधानी से नियंत्रित या रोल करते हुए धरातल – अन्तराल में ‘नखक्षत अपनी उंगलियों और नाखूनों से कागज क्षतिग्रस्त व उमार से अंतरिक्ष से इस तक समप्रेषण का सृजन करता है।
कलाकार डॉ शेखर चन्द्र जोशी उत्साहित हैं और अपने हाल के काम के बारे में बताते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं ‘आर्ट एंड कम्युनिकेशन ऑफ स्पेस शीर्षक वाली एकल प्रदर्शनी में पिछले कुछ वर्षों के दौरान कलाकार के नाखूनों द्वारा चित्रित पचास से अधिक कृतियाँ शामिल हैं, जिन्हें प्रमुख रूप से वर्ष 2022 में पूरा किया गया है।

ऐसा व्यक्तिव आज विश्व में छाया है

कलाकार का कहना है कि उसने अपनी रचनात्मकता के लिए अंतरिक्ष / अन्तराल अपनी अवधारणा, भावना, कौशल और नवीनता को स्वतंत्र रूप से व्यक्त किया है, अपने नाखूनों और धान के सिक्कों का उपयोग बिना ब्रश के एक उपकरण के रूप में किया है, साथ ही अतिरिक्त बड़े आकार के लिए कागज को जोड़कर भी इसे चिपकाया है। एक व्यापक स्थान कैनवास के लिए विषय ज्यादातर मनुष्य प्रकृति और समाज पर आधारित है जहां अन्तराल / अंतरिक्ष को महत्व दिया गया है। उन्होंने कई चेहरों को रंगों से और बिना रंगों के कागज पर कुमांऊ की एक महिला दिवंगत महात्मा गांधी और पं० शिव कुमार शर्मा आदि को उकेरा है सम्मान रूप में वे मोदी जी के बचपन के चेहरे को चित्रित करने में गौरव महसूस कर रहे थे कि ऐसा व्यक्तिव आज विश्व में छाया है।

भारतीय संस्कृति, प्रकृति, समाज व आध्यात्म के महत्व को चित्रित करना चाहते हैं

वह भारतीय संस्कृति, प्रकृति, समाज व आध्यात्म के महत्व को चित्रित करना चाहते है जैसा कि उनके चित्रों में कला, कौशल और रचनात्मकता के संयोजन के साथ दिखाया गया है। जिसमें सभी संबंधित विषयों और शीर्षक शामिल है। वह ग्रामीण और शहरी जीवन, पर्यावरण और प्रवास से संबंधित है, जैसा कि जंगल देवी’, ‘गाँव में जीवन लौटा और ‘पलायन’ नामक उनके चित्रों में देखा गया हैं। चित्रों में शिव दुर्गा, यंत्र और उनके वाहन भी दिखाई। देते हैं। उन्होंने अपनी अनेक कृतियों में मंदिरों, चिन्हों और संबंधित रूपों को रखा है। उनके चित्रों में प्रेम, शांति और सद्भाव दिखाया गया है फिर भी संगीत विधाओं और लय के संयोजन को मिश्रित रंगों के साथ यहां दर्शाया व बनाया जाता है।

डॉ जोशी के चित्रों में मुखाकृति, प्रकृति, समाज, स्पेस व कल्पना का अद्भुत सम्नवय दिखाई देता है

डॉ जोशी के चित्रों में मुखाकृति, प्रकृति, समाज, स्पेस व कल्पना का अद्भुत सम्नवय दिखाई देता है। उनका कहना है कि जब उन्होंने पहली बार ब्रहमकमल के अनगिनत और खिले हुए फूलों को देखा तो वे रूपकुंड के ट्रैक को नहीं भूल पाए। हमारा देश भगवान राम और कृष्ण की भूमि है कलाकार शेखर का कहना है कि राम एक आदर्श हैं। डा० जोशी ने कोविड- 19 के दौरान जीवन की कल्पना में राम व राम के नाम को चित्रित किया।
अपने आस-पास के कलाकारों के सपने और कल्पना में प्रकृति दुनिया और अन्तराल / अंतरिक्ष के कुछ तथ्य खोजने जीवन और प्रकृति के रहस्यों की खोज / शोध करने के लिए देखा जाता है। मनुष्य और उसका जुडाव “श्रम”, “वर्षा के बाद”, “वृक्ष’, ‘जंगल में आनंद आदि शीर्षक वाले चित्रों में प्रमुख रूप से परिलक्षित होता है। कुछ चित्रों में अलग-अलग रंगों के साथ अन्तराल / अंतरिक्ष में एक ही आकार होता है। हरेला’ नामक कुछ चित्रों में दोनों तरफ या पीछे के रूप देखे जा सकते हैं हरेला, उत्तराखंड में हरियाली का त्यौहार है जो पर्यावरण चेतना का प्रतीक भी है।
(डॉ०) शेखर चन्द्र जोशी; जो एक निर्माता क्यूरेटर, लेखक, डॉक्टर, शिक्षक और एक कला पारखी भी है। वर्तमान मे वह सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोडा में आचार्य चित्रकला तथा अधिष्ठाता अकादमिक (डीन एकेडमिक) हैं।

सभी का धन्यवाद किया

उन्होंने उन सभी का धन्यवाद किया जिन्होंने उनकी मदद की और उनके कार्यों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी की। वह प्रोफेसर एन०एस० भण्डारी, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति और परिवार के सभी सदस्य अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी और छात्र वह ललित कला अकादमी के गैलरी इंचार्ज (श्री अनुपम पाण्डे / श्री लोकेन्द्र) के अतिरिक्त विशेष रूप से इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, अधिकारियों, वरिष्ठ कलाकारों और कर्मचारियों को भी धन्यवाद देते है वह मीडिया सहित कुमाऊं विश्वविद्यालय, कोरिया फाउंडेशन, असम विश्वविद्यालय और विदेशों के संस्थानों के आभारी है जहां उन्होंने काम प्रतिभाग व प्रदर्शन किया। सिलोर महादेव, ओखलकांडा नैनीताल, और यूपीएसएस सरोजिनी नगर लखनऊ में भी अपनी कला शिक्षण की सेवाएं दी। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय गढ़वाल विश्वविद्यालय से पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों से कुमांऊ विश्वविद्यालय की सर्वोच्च डी० लिट, उपाधि ली। उन्होंने कलाम को नाखून व रंग से बनाया चित्र भी भेंट किया था।