अल्मोड़ा: शिक्षा संकाय में महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के शैक्षिक विचारो की उपादेयता विषय पर संगोष्ठी आयोजित

अल्मो़ड़ा महात्मा गांधी व लालबहादुर शास्त्री के जन्म  के पूर्व दिवस  पर आज एस एस जे परिसर के  शिक्षा संकाय में कुलपति डॉ एन एस भण्डारी के मार्ग निर्देशन में  महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री  के शैक्षिक विचारो की उपादेयता विषय पर विभागाध्यक्ष भीमा मनराल की अध्यक्षता मे संगोष्ठी हुई । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में दयाकृष्ण काण्डपाल ने अपना प्रमुख वक्तव्य दिया ।  कार्यक्रम का संचालन अंकिता कश्यप , डा.डी .एस चम्याल ने संयुक्त रूप से किया ,कार्यक्रम का शुभारम्भ महात्मां गाँधी व लालबहादुर शास्त्री को श्रद्धान्जली के साथ दीप प्रज्वलित  कर किया गया ।

भारत  ग्राम सभाओं का एक गण राज्य है

इस अवसर पर महात्मा गाँधी  व शास्त्री के शिक्षाप्रद विचारों पर  प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता पत्रकार दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि , महात्मां गाँधी  ने ना केवल आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया अपितु कई शैक्षणिक प्रयोग भी किये , गाँधी ने जब विदेशी  कपड़ो की होली जलाई तो स्वदेशी हतकरघा व चरखा को बढ़ावा दिया । गांधी जी देश मे शिक्षा व प्रशिक्षण का एक ऐसा मॉडल बनाना चाहते थे, जो ग्राम पंचायतों  को स्वालम्बी व आत्म निर्भर बना सके सरकार का कॉपरेटिव आन्दोलन इसी सोच का विस्तार है । गाँधी जी ने स्पष्ठ कर दिया कि भारत  ग्राम सभाओं का एक गण राज्य है वह ग्राम सभाओं को प्रबन्धन  व व्यवस्था के अधिकार देना चाहते थे । उनकी  इस भावना को संविधान मे स्थापित करने के लिये  राजीव गांधी की सरकार ने  संविधान में  73 व 74 वां  संशोधन किया । किन्तु देश के केरल राज्य को छोडकर संविधान की ग्राम गणराज्य की परिकल्पना  व आत्म निर्भर भारत का सपना साकार नही हो सका । वे चिकित्सा के क्षेत्र मे भी प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के पक्षधर थे ।

विश्विद्यालय के  छात्रों  को भी व्यवहारिक पक्ष पर जोर देना चाहिये

लाल बहादुर शास्त्री के शैक्षणिक विचाारों की उपादेयता पर दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि लाल बहादुर  शास्त्री  ने कृषि विज्ञान को बढ़ावा दिया ,  उन्होंने जय जवान जय किसान  का नारा ही नही दिया बल्कि देश को कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिये कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किये जिससे देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आगे ही नही बढ़ा अपितु आत्म निर्भर भी बन गया । उन्होने कहा कि  गांधी व शास्त्री किताबी शिक्षा पर नही व्यवहारिक शिक्षा पर जोर देते रहे। अत: विश्विद्यालय के  छात्रों  को भी व्यवहारिक पक्ष पर जोर देना चाहिये शिक्षा संकाय भावी शिक्षकों  को  तैयार करने का एक उपक्रम है । अत: शिक्षा के गुण रहस्यों पर भी ध्यान देना चाहिये कई बार अर्थ के अनर्थ भ्रमित कर देते है ।

गाँधी व शास्त्री की सादगी व साहस का विश्व समुदाय भी कायल है

कार्यक्रम के अन्त मे विभागाध्यक्ष भीमा मनराल ने कहा कि गाँधी व शास्त्री की सादगी व साहस का विश्व समुदाय भी कायल है ।ये दोनो ही असाधारण व्यक्तित्व के  धनी रहे छात्रों  को इनके विचारो  को  व्यवहारिक रूप से अपनाना चाहिये ।

कार्यक्रम में शामिल रहे

कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर भीमा मनराल- संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष अंकिता कश्यप- असिस्टेंट प्रोफेसर (संचालन),डॉक्टर देवेंद्र सिंह चम्याल- असिस्टेंट प्रोफेसर,डॉक्टर नीलम कुमारी- असिस्टेंट प्रोफेसर,डॉक्टर संदीप पांडे- असिस्टेंट प्रोफेसर,डॉक्टर रिजवाना सिद्दीक़ी- असिस्टेंट प्रोफेसर,मनोज कुमार आर्य- असिस्टेंट प्रोफेसर,मिस सरोज जोशी- असिस्टेंट प्रोफेसर,डॉक्टर ममता कांडपाल- असिस्टेंट प्रोफेसर, मंजरी तिवारी- पीएचडी स्कॉलर,मो० नूर बानो- पीएचडी स्कॉलर आदि शामिल रहे।