अल्मोड़ा-जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर सर्वदलीय संघर्ष समिति ने आज मंगलवार को गांधी पार्क चौहानबाटा अल्मोड़ा में धरना दिया।
पांच साल से संघर्ष समिति लगातार जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने के लिए आन्दोलनरत है
इस अवसर पर समिति के प्रवक्ता राजीव कर्नाटक ने कहा कि पांच साल से संघर्ष समिति लगातार जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने के लिए आन्दोलनरत है।अब प्रदेश सरकार को जनता की भावनाओं की कद्र करते हुए अविलंब जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण समाप्ति का शासनादेश जारी कर देना चाहिए।उन्होंने कहा कि बिना पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति को समझे प्रदेश की भाजपा सरकार ने नवम्बर २०१७ को तुगलकी फरमान से समूचे पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लागू कर दिया था जिसका स्थानीय जनता एवं सर्वदलीय संघर्ष समिति लगातार विरोध कर रही है।परन्तु प्रदेश सरकार ने कुछ माह पूर्व प्राधिकरण स्थगन की घोषणा मात्र कर इतिश्री कर ली।
प्रदेश सरकार को जनता की भावनाओं को समझना चाहिए
प्रदेश सरकार को जनता की भावनाओं को समझना चाहिए एवं स्पष्ट आदेश के तहत जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त कर भवन मानचित्र स्वीकृति सम्बन्धित समस्त अधिकार पूर्व की भांति नगरपालिकाओं को देने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार सत्ते के नशे में चूर है इसी कारण पिछले पांच वर्षों से जनता के आन्दोलन के बावजूद भी प्राधिकरण को समाप्त नहीं कर रही है।प्रदेश सरकार स्पष्ट रूप से यह जान ले कि जब तक सरकार इस जनविरोधी प्राधिकरण को स्पष्ट आदेश के तहत समाप्त नहीं कर देती तब तक समिति का आन्दोलन जारी रहेगा।आने वाले दिनों में आन्दोलन को और उग्र किया जाएगा।उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री से मांग की है कि जनहित में अविलम्ब जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त कर भवन मानचित्र स्वीकृति के समस्त अधिकार नगरपालिका को दिए जाएं।सर्वदलीय संघर्ष समिति लगभग पांच सालों से जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर लगातार धरने,प्रदर्शन,ज्ञापन आदि का कार्यक्रम कर रही है जिसे सरकार ने गंभीरता से लेना चाहिए और पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तुरन्त इस जनविरोधी जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करना चाहिए।
धरने में उपस्थित रहे
धरने में समिति के प्रवक्ता राजीव कर्नाटक,सचिव दीपांशु पाण्डेय,चन्द्र कान्त जोशी,आनन्द बगडवाल,प्रताप सत्याल, चन्द्र मणि भट्ट आदि उपस्थित रहे।