अल्मोड़ा में कोरोना के बाद अब जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाओं का संकट खड़ा हो गया है। बीते छह माह से अस्पतालों से दवाओं का टोटा होने से मरीज परेशान हैं। आलम यह है, कि 300 से 400 प्रकार की दवाओं के बदले अब वर्तमान में सिर्फ 8 से 10 प्रकार की ही दवा अस्पतालों में उपलब्ध हैं।
छह माह से अस्पतालों में दवाओं का टोटा होने से मरीजों को झेलनी पड़ रही परेशानी
सरकार प्राचीन चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। लोगों को योग से निरोग रखने के साथ ही आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति अपनाने के लिए जागरूक कर रही है। इसके विपरीत जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में बीते छह माह से दवाओं का टोटा है। जिले भर में वर्तमान में 50 से अधिक आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित है। खासकर दूरस्थ क्षेत्र में इन अस्पतालों की संख्या अधिक है। जिससे मरीजों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हर रोज औसतन 300 से 500 मरीज पहुंचते हैं उपचार कराने
इन अस्पतालों में हर रोज औसतन 300 से 500 मरीज उपचार को पहुंचते हैं। लेकिन ऐसे में बीते छह माह से इन अस्पतालों में दवाओं का टोटा होने से मरीजों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। लोगों ने जल्द से जल्द अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध कराने की मांग उठाई है।
सिर्फ 8 से 10 प्रकार की दवाएं उपलब्ध
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पहले जहां 300 से 400 प्रकार की दवाएं उपलब्ध रहती थी। वहीं वर्तमान में दवाओं के संकट के बीच केवल 8 से 10 बीमारियों की दवाएं ही उपलब्ध है। दवाओं का अभाव का एक बड़ा कारण बजट की कमी बताया जा रहा है।
कुछ महीनों से चल रहा है दवाओं का संकट
डॉ. भूपेंद्र सिंह भैसोड़ा, प्रभारी जिला आयुर्वेदिक एवं युनानी अधिकारी ने बताया कि दवाओं की उपलब्धता के लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है। फिलहाल कुछ महीनों से दवाओं का संकट चल रहा है।