अल्मोड़ा में उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने अग्निपथ योजना को राष्ट्रहित मे वापस लेने की मांग की है साथ ही हल्द्वानी में बरोजगार नौजवानों पर लाठीचार्ज की कड़ी निन्दा की ।
भारतीय सेना रोजगार नहीं सैन्य परंपरा-
वाहिनी की एक बैठक मे इस योजना के दुष्परिणामों पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय सेना कोई रोजगार नही एक सैन्य परम्परा है। सैन्य परिवारों का सेना के साथ एक पारम्परिक जुड़ाव है। भारतीय सेना एक परिवार की तरह काम करती है । अपने देश व सहकर्मी सैनिक की हिफाजत के लिये जज्बाती होती है । यह जोश के साथ होश की कार्यशैली की विकास है । इसके लिये राजाओं के जमाने से लेकर आजाद भारत मे भी इलाकाई रेजिमैन्ट काम करती रही है। ये सेनाएं मान मर्यादा व निशान के लिये जज्बाती होती यही जज्बात उन्हें युद्ध मे अजेय बनाता है । भारतीय सेना के रेजिमैन्टो की अलग – अलग कार्यशैली अपने अपने गुणों के कारण दुश्मन देशों के लिये एक पहेली बन जाती है। सेना का चरित्र अपनी भौगोलिक परम्परा व राष्ट्र का मिलाजुला चरित्र है। अत: सरकार को सेना के चाल चरित्र व व्यवस्था बदलने से पहले कई बिन्दुओं पर विचार करना चाहिये । वाहनी ने कहा कि राष्ट्रभक्ति मनवाने की बात नही, मन का गुण है ।
सेना में पूर्णकालिक हो भर्ती-
भारत की यूरोप, अमेरिका आदि देशों से तूलना करना इसलिये गलत है कि उन देशों व भारत की सामाजिक परम्पराओं मे बहुत अन्तर है । वाहनी सरकार से मांग करती है कि वह सेना मे संविदा की तरह नही पूर्णकालिक भर्ती करें । सेना के रेजिमैन्टस चरित्र को बनाये रखे क्योकि इनका सैकड़ो सालों का इतिहास है। सेना से सेवानिवृत्त सैनिको को या तो रोजगार की गारन्टी दे, या फिर जब तक वे रोजगार दोबारा नही पा लेते उन्हें बेरोगारी भत्ता व पेन्शन दें , जैसे कि युरोप आदि देशों में दिया जाता है । वाहनी की बैठक का संचालन दयाकष्ण काण्डपाल ने किया।
यह लोग रहें उपस्थित-
बैठक मे जगत रौतेला, पूरन चन्द्र तिवारी जंगबहादुर थापा,अजयमित्र, कुणाल तिवारी,अजय मेहता, बिशन दत्त जोशी, हरीश मेहता, हारिस मुहम्मद आदि लोग उपस्थित रहे।