अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। कत्यूर वंश के राजकुमार मालूशाही व शौका वंश की कन्या राजुला की अमर प्रेमगाथा राजुला-मालूशाही को दूरदर्शन के जरिये दुनिया तक पहुंचाने वाले लेखक, साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली को अमृत अवार्ड दिया जाएगा। अमृत अवार्ड के तौर पर पेटशाली को एक लाख रुपये प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
अमृत अवार्ड-
उन्हें संगीत नाटक एकेडमी अमृत अवार्ड 2022 से सम्मानित किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संगीत नाटक एकेडमी ने लोक संगीत और समग्र योगदान, कला प्रदर्शन में छात्रवृत्ति के लिए पेटशाली के नाम की घोषणा की है। लोक धुनों, लोक भाषा पर काम कर चुके पेटशाली अब तक 18 पुस्तकें लिख चुके हैं।
राजुला मालूशाही से दुनिया भर में मिली पहचान
अल्मोड़ा के चितई के पास पेटशाल गांव में सात सितंबर 1946 को स्व. हरिदत्त व लक्ष्मी पेटशाली के घर जुगल किशोर का जन्म हुआ। उन्होंने लोक साहित्य, लोक संगीत व लोक नृत्य पर उल्लेखनीय कार्य किया है। 1990 में उन्होंने पहली किताब राजुला मालूशाही लिखी। तीन साल बाद इसे संगीत नाटिका के रूप में फिल्मांकित किया, जिसे बाद में दूरदर्शन के माध्यम दुनिया तक पहुंचाया। इससे उन्हें काफी पहचान मिली। इसके लिए उन्हें जयशंकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 15वीं शताब्दी की अमर प्रेम कहानी को पेटशाली ने कुमाऊंनी भाषा की 34 लोक धुनों पर तैयार किया गया। इसमें छपेली, चांचरी, झोड़ा, बैर, भगनौल, न्योली, जागर आदि प्रमुख हैं। इससे पता चलता है कि पेटशाली लोक के कितने नजदीक हैं।