उत्तराखण्ड की संस्कृति विश्व विख़्यात है। यहां की सुदंरता भी हर किसी को अपनी ओर खींच लाती है। इसी क्रम में यहां की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जीजीआईसी बाडेछीना की अध्यापिकाओं ने सकारात्मक पहल शुरू की।
अध्यापिकाओं द्वारा विद्यालय में तुलसी के पौधे लगाएं-
इस अवसर पर देवशयनी एकादशी पर विद्यालय में तुलसी के पौधे लगाए गए। विद्यालय की प्रधानाचार्या अरूणा तिवारी ने बताया कि आज देवशयनी एकादशी है। इसे हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी व्रत और पूजन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि से अगले चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इसलिए इस दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हिंदू धर्म में इन दिनों को चतुर्मास कहा जाता है। विद्यालय की ईको क्लब प्रभारी अध्यापिका प्रीति पन्त ने कहा कि मान्यताओं के अनुसार आज के दिन तुलसी के पौधे लगाएं जाते हैं।
तुलसी के पौधे लगाने का है धार्मिक महत्व-
आज घरों में भी लोग तुलसी का पौधा लगाते हैं। आज के दिन जहां तुलसी के पौधे लगाने का धार्मिक महत्व हहै वहीं दूसरी ओर तुलसी का प्रयोग अनेक प्रकार की बीमारियों को दूर करने में भी किया जाता है। ईको क्लब प्रभारी अध्यापिका प्रीति पन्त ने कहा कि तुलसी एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। धार्मिक महत्व में जहां ये हमारी संस्कृति का द्योतक हैं वहीं तुलसी अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है।उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी आज बेहद आवश्यक है कि सभी अधिक से अधिक पौधें लगायें व इनकी देखभाल करें।
इस अवसर पर यह लोग रहे उपस्थित-
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या अरूणा तिवारी,ईको क्लब प्रभारी प्रीति पन्त,शिप्रा बिष्ट, तनुप्रिया खुल्बे,मीना जोशी,कमला बिष्ट, प्रियंका,आशा भट्ट, हेमा पटवाल,अनीता बिष्ट, ममता भट्ट,पुष्पा भट्ट,किरन पाटनी आदि अध्यापिकायें उपस्थित रही।