अल्मोड़ा: एसएसजे परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने खोजा यह खास बीमारी का इलाज, इस बीमारी पर कारगर साबित

अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। सोबन सिंह जीना परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने एक खास इलाज को खोजा है।

इन लोगों के लिए भी होगी कारगर साबित

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन शोधार्थियों ने धान के पौधों को रोगग्रस्त करने वाली बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट बीमारी का इलाज खोजा है। वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्रा के निर्देशन में हुआ। शोध में जंतु विज्ञान विभाग के डॉ. मुकेश सामंत सहित वनस्पति विज्ञान के डॉ तुषार जोशी, डॉ. सतीश चंद्र पांडे, डॉ. मनीष त्रिपाठी, डॉ. प्रियंका मैती, डॉ. शालिनी मठपाल, डॉ. प्रियंका शर्मा, दिशा तिवारी शामिल रहीं।
अर्जुन के पेड़ की छाल से तैयार अर्क जैंथोमोनस ओराइजे नामक जीवाणु को नष्ट करने में प्रयोगशाला में सफल हुआ है। जिसमें शोधार्थियों ने पाया कि अर्जुन वृक्ष की छाल इस जीवाणु को नष्ट करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने लैब में इसके अर्क की 25, 50 और 100 माइक्रोग्राम प्रति मिलीलीटर की मात्रा लेकर जीवाणु पर प्रयोग किया। जिसमे पाया कि छाल के तत्व हाइड्रॉक्सीस्पाइरोस्ट, ऑक्सिमिनो, डाइएथॉक्सीफ्लोरिन, नेफथलीन मेथेनॉल जीवाणु के जीवन चक्र को नष्ट कर रहा है।

दी यह जानकारी

बताया कि अगर यह जीवाणु फसल पर लग जाए तो पैदावार को 45 प्रतिशत तक कम कर देता है। इसके अलावा यह अर्जुन की छाल का अर्क हृदय संबंधी कई रोगों में भी काफी लाभदायक है। बाजार में इससे तैयार अर्जुनारिष्ट सहित कई आयुर्वेदिक औषधी मिलते हैं। इस संबंध मे डॉ. सुभाष चंद्रा, मुख्य अन्वेषक, एसएसजे विवि, अल्मोड़ा ने बताया कि शोध धान की खेती को जीवाणु से संरक्षित करने में बड़ा कदम साबित होगा। प्रयोगशाला में दिखे नतीजे खेतों में भी नजर आएं इसके लिए प्रयास किया जाए, तभी इस शोध कार्य का उद्देश्य पूरा होगा और धान की फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा।