अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबन्ध समिति की बैठक बीते कल गुरूवार को जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
असामाजिक तत्वों के विरूद्ध हो कड़ी कार्रवाई
यह बैठक कलैक्ट्रेट सभागार में हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि चीड़ के जंगल या पीरूल ही वनाग्नि का कारण नहीं है अधिकतर मामलों में मानवीय हस्तक्षेप से वनाग्नि की शुरूआत होती है। पीरूल के सहारे आग उसी तरह फेलती है, जिस तरह से अन्य बायोमास के सहारे आग फेलती है। उन्होंने कहा कि दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों तथा सीमित मानव संसाधनो के कारण वन विभाग के लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वह अकेले ही वनाग्नि नियंत्रण कर सके, ऐसे में वनाग्नि नियंत्रण में जनसहभागिता जरूरी है।
समय समय पर वनाग्नि के संबंध में दिया जाए प्रशिक्षण
जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एव ग्रामीणों को जागरूक किया जाय तथा ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को महिला मंगल दल, महिला समूह के रूप में संगठित, पंजीकृत किया जाय। उन्हें समय समय पर वनाग्नि के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वन बीट अधिकारियों, राजस्व उप निरीक्षकों/पुलिस थानों, ग्राम विकास अधिकारियों, ग्राम प्रधानों, वन सरपंच, ग्राम प्रहरियों तथा महिला मंगल दल के सदस्यों व ग्रामीणों को मिलाकर ग्राम वनाग्नि समिति का गठन फायर सीजन से पूर्व कर लिया जाय। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि फायर एप का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय। उन्होने निर्देंश दिए कि वनाग्नि के लिए जिम्मेदार असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई भी की जाए।
दिए यह निर्देश
बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनों मंे तालाब, चाल एवं खाल बनाकर प्लास्टिक की थैली बिछाकर पानी एकत्र किया जाय जिससे पशुओं को भी पानी मिल सके और वनाग्नि के समय इनका उपयोग वनाग्नि रोकने में हो सके। उन्होंने लोक निर्माण विभाग व वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि सड़कों के किनारे नालियों की फायर सीजन से पूर्व साफ-सफाई आपसी समन्वय से कर ली जाय।
रहें उपस्थित
इस बैठक मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी, प्रभागीय वनाधिकारी दीपक सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व सरपंच उपस्थित रहें।