अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बैंक मामले में फैसला सुनाया है।
जानें पूरा मामला
परिवादी के अधिवक्ता मौ० इमरोज ने बताया कि परिवादी का बचत खाता सं0-10861461649 में शिवाजी नगर बैंगलौर से 60-63.766/- का भुगतान आदेश दि०-31-07-2019 को प्राप्त हुआ था। उक्त भुगतान आदेश को परिवादी ने विधिवत विपक्षी सं0-1 की बैंक की अल्मोड़ा मालरोड शाखा में दिनांक 31-07-2019 को ही जमा कर दिया था, जिसका चैक दिनांक 02-09-2019 को विपक्षी बैंक को प्राप्त हो गया था, उसके उपरान्त भी यह धनराशि परिवादी के खाते में जमा नहीं की गयी। एक सप्ताह बाद जब परिवादी विपक्षी सं०-1 बैंक की शाखा में गया और अपने बचत खाते में उक्त धनराशि के जमा हो जाने की सूचना चाही तो विपक्षी सं० 1 द्वारा धनराशि परिवादी के खाते में जमा न होने की बात कही गयी और पुनः एक हफ्ते बाद जब परिवादी द्वारा विपक्षी सं०-1 बैंक की शाखा में भुगतान आदेश की छान-बीन करवाई गई तो विपक्षी सं०- बैंक के अधीनस्थ कर्मचारी द्वारा बताया गया कि आपका भुगतान आदेश खो गया है, आप बैंगलोर, शिवाजीनगर जाकर भुगतान आदेश की दूसरी प्रति लाये, तभी आपको भुगतान किया जाना सम्भव होगा। तब परिवादी ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत अपने भुगतान आदेश के खाते में जमा होने में विलम्ब के कारण की सूचना चाही तो विपक्षी सं०-1 बैंक द्वारा दिनांक 12-12-2019 के पत्र जो उनके द्वारा शिवाजी नगर शाखा को भेजा गया, उसकी प्रति परिवादी को दी और आश्वासन दिया कि शीघ्र ही उक्त धनराशि उनके खाते में जमा कर दी जायेगी। दिनांक 31-07-2019 से अभी तक विपक्षी टाल-मटोली कर रहे हैं। इसके लिए आयोग की शरण ली। इन्हीं तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत कर परिवादी द्वारा प्रार्थना की गयी कि उसे विपक्षी सं०-1 बैंक से उसके भुगतान आदेश की धनराशि रू0-63.766/- भुगतान की तिथि तक ब्याज सहित दिलवाये जाने व रू0-25.000/- हर्जाना विपक्षी सं०-1 बैंक से दिलवाया जाय।
दिए यह आदेश
इस मामले की सुनवाई करते हुए आयोग अध्यक्ष रमेश कुमार जायसवाल, सदस्य विद्या बिष्ट और सुरेश चंद्र काण्डपाल ने बैंक कंपनी को 45 दिन के भीतर रिफण्ड आर्डर की सम्पूर्ण धनराशि 50-63,766/-(रू० त्रिरेसठ हजार सात सौ छियासठ) तथा उस पर रिफण्ड आर्डर बैंक में प्रस्तुत करने की तिथि दिनांक 31-07-2019 से सम्पूर्ण भुगतान प्रदान किये जाने की तिथि तक प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज सहित जोड़कर एकमुश्त रूप में देने के आदेश दिए हैं। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं०-1 बैंक परिवादी को हुई मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0-20.000/-(रू० बीस हजार मात्र) तथा वाद-व्यय हेतु रू०-10,000/- (रू० दस हजार मात्र) का भुगतान भी उपरोक्त निर्धारित समायावधि के भीतर करना सुनिश्चित करेगा। आदेश का पालन नहीं करने पर कंपनी के खिलाफ कारावास और अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी।