अल्मोड़ा जिले से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा जिले के धौलछीना विकासखंड भैंसियाछाना के दूरस्थ गांव कुंजरतौड़ा में चार बार की सर्वे होने के बावजूद भी पौने तीन किलोमीटर सड़क नहीं बन सकने पर ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है।
सड़क स्वीकृत होने के 9 वर्ष बाद भी सड़क कटिंग का नहीं हुआ काम
ऐसे में सड़क स्वीकृत होने के 9 वर्ष बाद भी सड़क कटिंग का काम नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। इस संबंध में कुंजरतौड़ा के निवर्तमान ग्राम प्रधान पूरन सिंह ने बताया है कि वर्ष 2012 में गैराड बैण्ड से बाडे़छीना तक सड़क की सर्वे हुई थी। वर्ष 2012 में बाड़ेछीना के सुपईखान से दिबदिया तक 12 किलोमीटर लंबी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना स्वीकृत हुई। वर्ष 2019 में सड़क बनकर तैयार हुई जो दिबदिया से 700 मीटर पहले बटगल में जाकर समाप्त हो गई। इस अधूरी सड़क का ग्रामीणों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है ।
आंदोलन को बाध्य होने की चेतावनी
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2015 में बटगल से गैराड बैण्ड तक लगभग पौने तीन किलोमीटर लंबी सड़क स्वीकृत हुई थी। जिसका लोनिवि द्वारा चार बार सर्वे का कार्य भी किया जा चुका है। ग्रामीणों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी विभाग को दिया जा चुका है। बावजूद इसके आज तक सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क के गैराड बैण्ड से लिंक हो जाने से सुपई, बमन तिलाड़ी, अलई, कुंजा, देवड़ा, सल्ला, कफडखान, गैराड, छानी आदि गांवों को सीधा फायदा होगा। इसके अतिरिक्त बागेश्वर जिले से जागेश्वर मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं का तथा पर्यटकों के लिए भी यह मार्ग छोटा और आसान विकल्प होगा। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी से उन्हें आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा।
ज्ञापन के बाद भी हो रहीं अनदेखी
जिस पर कृष्ण सिंह तिलाडा, सुरेश चंद्र, मोहन चंद्र, चंद्रशेखर, रमेश चंद्र, महिपाल सिंह, गंगा दत्त, बलवंत सिंह, कमलेश सिंह, पार्वती देवी, कमला भट्ट, मुन्नी भट्ट, प्रेमा ओली आदि ग्रामीणों ने कहा कि वह सड़क का निर्माण जल्द से जल्द हो सके, इसके लिए लगातार विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन दे रहे हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इससे आहत होकर ग्रामीण अब आंदोलन का मन बना रहे हैं।
सैद्धांतिक स्वीकृति के लिए अग्रिम कार्यवाही
हरीश जोशी सहायक अभियंता पीडब्ल्यूडी अल्मोड़ा ने बताया कि ग्रामीणों ने जो एनओसी दी है। वह ग्राम सभा की आम बैठक में स्वीकृत नहीं हुई है। वन भूमि की स्वीकृति भी नहीं मिली है। सैद्धांतिक स्वीकृति के लिए अग्रिम कार्यवाही की जा रही है।