पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में भी जल दिवस के अवसर पर विभाग के संयोजक प्रो जगत सिंह बिष्ट और विभाग के प्रभारी डॉ ललित जोशी ने कहा कि मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमें जल की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। पृथ्वी पर आधे से ज्यादा जल कल-कारखानों के कैमिकल, मल विसर्जन,अपशिष्ट निस्तारण आदि के कारण प्रदूषित हो चुका है।
अंधाधुंध कटान के फलस्वरूप गधेरे सूख रहे हैं
स्वाति तिवारी ने कहा कि वनों के अंधाधुंध कटान के फलस्वरूप गधेरे सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट गया है। जंगल जलाए जाने के बाद नए वन्यजीवों और वृक्षों को काफी क्षति हुई है।
भौम जलस्तर घट रहा है
रोशनी बिष्ट ने कहा कि भौम जलस्तर घट रहा है, जमीनें रेगिस्तान बन रही हैं। जीव-जंतुओं को पीने योग्य जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
शैली मंसूरी ने कहा कि जल हमारी संस्कृति से जुड़ा है। मानव की संस्कृति तभी बचेगी,जब जल,जंगल बचेंगे। ज्योति नैनवाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जल के संरक्षण के लिए प्रण लेना होगा।
स्रोतों के प्रति सम्मान का भाव पुनः अपने जेहन में लाना होगा
दिव्या नैनवाल ने कहा कि जल के स्रोतों के प्रति सम्मान का भाव पुनः अपने जेहन में लाना होगा।
विभाग ने इस अवसर पर एक अपील जारी करते हुए जनता से अपील में कहा कि अपने आस-पास जल संरक्षण के लिए योजना बनाएं।आवश्यकतानुरूप ही जल का प्रयोग करें।जल को अनावश्यक बहने से रोकें।नदियों, नौलों के आसपास कूड़ा विसर्जन न करें।जलस्रोत, नौला, नदी को जलदेव मानकर इनके प्रति श्रद्धा का भाव रखें। वन लगाकर उनका संरक्षण करें।