अल्मोड़ा: विश्व के विकास के लिए योग आवश्यक- प्रो. रजनी नौटियाल

आजादी का अमृत महोत्सव, नमामि गंगे, विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र, यू कॉस्ट, जी 20 और अर्थ गङ्गा : संस्कृति, विरासत एवं पर्यटन के अंतर्गत 16 से 18 अप्रैल तक आयोजित हुए तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ।

दर्जनों शोधार्थियों ने शोधपत्रों का वाचन किया

तीसरे दिन आयोजित हुए विभिन्न सत्र पतितपावनी गंगा और उसके पुनरुद्धार को लेकर समर्पित रहे। दर्जनों शोधार्थियों ने शोधपत्रों का वाचन किया गया।
समापन अवसर पर सत्र के अध्यक्ष और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट, मुख्य अतिथि विधायक मनोज तिवारी, विशिष्ट अतिथि रूप में विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. इला बिष्ट, डॉ. मुकेश सामंत (कुलानुशासक),अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह, प्रो. रजनी नौटियाल,  प्रो. विनोद नौटियाल, प्रो.आराधना शुक्ला और कॉन्फ्रेंस संयोजक डॉ. नवीन भट्ट, संचालक रजनीश जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित किया। 

अतिथियों का स्वागत किया

योग विज्ञान विभाग द्वारा समापन सत्र के मंचासीन अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर, शॉल ओढ़ाकर एवं उनका बैज अलंकरण कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। साथ ही विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत से अतिथियों का स्वागत किया। 

स्वामी विवेकानन्द जी का स्वप्न था कि वो इस भूमि से भारतीय संस्कृति, योग, आध्यात्म के प्रचार-प्रसार के लिए करें कार्य

कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट ने अतिथियों का स्वागत कर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में आयोजित हुए विभिन्न सत्रों के निष्कर्ष को प्रस्तुत किया। डॉ. भट्ट ने बताया कि ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सत्रों का संचालन किया गया, जिसमें देश-विदेशों के विद्वानों ने सहभागिता की। 12 राज्यों यथा- महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार आदि एवं मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया, टर्की जैसे राष्ट्रों से योग विज्ञान के 170 विद्वानों ने शोध पत्र पढ़े। अल्मोड़ा को लेकर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का इस भूमि से लगाव रहा है। उनका स्वप्न था कि वो इस भूमि से भारतीय संस्कृति, योग, आध्यात्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करें। आज योग विज्ञान विभाग उनके स्वपनों को साकार करने की दिशा में कार्य कर रहा है।

विश्व के विकास के लिए योग आवश्यक

विशिष्ट अतिथि रूप में प्रो. रजनी नौटियाल ने कॉन्फ्रेंस की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाइयाँ दी। उन्होंने विश्व के विकास के लिए योग को आवश्यक बतलाया।प्रो. विनोद नौटियाल ने  कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट एवं डॉ.नवीन भट्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को ऐसे कुलपति एवं ऐसे योग गुरु मिलना असंभव है। उन्होंने कहा कि यह कांफ्रेंस  योग के प्रसार के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द की भूमि में योग और अध्यात्म को लेकर किये जा रहे चिंतन पर विस्तार से बात रखी। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. इला बिष्ट ने योग में कॉन्फ्रेंस आयोजित कराने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।प्रो. आराधना शुक्ला (पूर्व संकायाध्यक्ष) भारतीय संस्कृति के उन्नयन में योग विज्ञान विभाग की भूमिका  की सराहना की।

इस भूमि में योग को लेकर अपार संभावनाएं

मुख्य अतिथि रूप में बारामंडल क्षेत्र के विधायक  मनोज तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा की यह भूमि विश्वविख्यात रही है। इस भूमि में योग को लेकर अपार संभावनाएं हैं। यह भूमि योग साधकों के लिए अनुकूल है। इसी नगर में स्थित सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा समाजपयोगी कार्यक्रमों की सराहना की।

भारतीय परंपरा के आलोक में योग की भूमिका पर रखे विचार

समापन अवसर के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में  योग की निष्पत्ति और उसके क्षेत्र पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ जोड़ से है। योग सभी को आपस में जोड़ता है। उन्होंने भारतीय परंपरा के आलोक में योग की भूमिका पर बात रखी। प्रो. बिष्ट ने कहा कि प्राचीन समय से योग प्रचलन में है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, समाधि आदि ही योग है। योग को अपनाकर अपने व्यक्तित्व का विकास करें। आज के आपाधापी के दौर में योग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। उन्होंने योग के संबंध में कहा कि  कौशल की दृष्टि से भी योग महत्वपूर्ण होता है। भारतीय संस्कृति को लेकर अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत प्राचीन है। जिसके आदर्श, मूल्यों को प्रसारित करने में योग विज्ञान विभाग  एवं डॉ. नवीन भट्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोरोनाकाल में भी इस विभाग ने सामाजिक उत्तरदायित्व समझते हुए कार्य किये हैं। आगे कहा कि  राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का योग विभाग इन कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी साख बनाए हुए है।  उन्होंने कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. भट्ट एवं उनकी पूरी टीम को अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित की।सत्र में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. इला साह और कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं।

मीडिया प्रभारी डॉ. ललित चन्द्र जोशी को किया गया सम्मानित

इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. ललित चन्द्र जोशी को विश्वविद्यालय में उनके समर्पण भाव से कार्य करने के लिए संगोष्ठी के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट एवं डॉ. तेजपाल सिंह ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

शोध पत्रों का वाचन किया

समापन सत्र से पूर्व अलग-अलग स्थानों पर सत्र संचालित हुए। जिसके विभिन्न तकनीकी सत्र में प्रो. नागेंद्र द्विवेदी (प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय टनकपुर) , प्रोफेसर कमलेश शक्टा (असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत, स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,लोहाघाट) ने अध्यक्षता की। सह अध्यक्षता डॉ. शीतल राम ने की। इस अवसर पर अमित जोशी,नीरज कुमार, डॉक्टर उदय कुमार देवरिया, डॉ महेंद्र मेहरा, डॉ चंद्रावती जोशी आदि ने शोध पत्रों का वाचन किया समापन सत्र का रजनीश जोशी ने एवं तकनीकी सत्र का विद्या नेगी ने संचालन किया।
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शोध छात्रों, योग गुरुओं, विद्वानों ने की सहभागिता

इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में  डॉ० बिभाष मिश्रा,   डॉ. संदीप कुमार, प्रो. घनश्याम ठाकुर, डॉ. विकास रावत, डॉ.संदीप त्यागी,  विश्वजीत वर्मा, गिरीश अधिकारी, लल्लन सिंह, हिमांशु परगाई,  विद्या नेगी,हेमलता अवस्थी, प्रो. प्रतिमा वशिष्ठ, डॉ. ममता पंत, डॉ. महेंद्र मेहरा,  प्रो. कंचन जोशी, डॉ. रमेश कौर, डॉ .कमलेश शक्टा, डॉ. रवींद्र कुमार,  डॉ. कुसुमलता आर्या, डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. सुभाष चन्द्र, डॉ. योगेश मैनाली, डॉ. रिजवाना सिद्धिकी, डॉ. कविता, डॉ.राजविन्दर कौर, भावेश आदि सहित योग विज्ञान के सैकड़ों विद्यार्थियों, शोध छात्रों, योग गुरुओं, विद्वानों ने सहभागिता की।