बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए बेताब श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज रवाना हो गया। यात्रियों के पहले जत्थे को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने झंडी दिखाकर रवाना किया। पहले जत्थे में 3,000 से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हैं जो पवित्र अमरनाथ की गुफा का दर्शन करेंगे। पिछले 2 साल से कोरोना महामारी की वजह से अमरनाथ यात्रा आयोजित नहीं हो सकी थी जिस वजह से इस साल श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
30 जून से श्रद्धालु कर पाएंगे दर्शन
इस साल श्रद्धालुओं के लिए पवित्र गुफा 43 दिनों तक खोली जाएगी जिसकी शुरुआत 30 जून से हो रही है। 43 दिनों की अवधि में कयास लगाए जा रहे हैं कि लाखों श्रद्धालु बड़ी आसानी से दर्शन कर पाएंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस साल श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किए हैं जिससे उन्हें किसी तरह की समस्याएं न हो आइए जानते हैं यात्रा की कुछ खासियतों के बारे में…
स्वास्थ्य सुविधाएं
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन द्वारा जगह-जगह पर 150 से अधिक मेडिकल सेंटर बनाए गए हैं जहां मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। इससे श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो और आपातकालीन चुनौतियों से निपटा जा सके। इधर डीआरडीओ के द्वारा भी हेल्थ कैंप यूनिट लगाई गई है जो यात्रियों के लिए सेवाएं देगा। उपराज्यपाल ने यह भी बताया की ऑक्सीजन की कमी न हो इसलिए प्रशासन ने व्यापक स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की है।
इन दो रास्तों से श्रद्धालु पहुंचेंगे अमरनाथ गुफा
इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए 11 अप्रैल से ही लाखों तीर्थयात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी दी है। अमरनाथ यात्रा का प्रबंधन श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की ओर से किया जाता है। अमरनाथ यात्रा दो मार्गों दक्षिण कश्मीर के पहलगाम की ओर से पारंपरिक नुनवान की और से की जाती है जिसकी दूरी 48 किलोमीटर है वहीं मध्य कश्मीर के गांदरबल के बालटाल की ओर से श्रद्धालुओं को अमरनाथ पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।