हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी व्रत रखा जाता है । कहा जाता है कि इस व्रत को करने से अपार धन, यश, मोक्ष की प्राप्ति व प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है ।इसे अचला एकादशी भी कहते हैं ।
जानें पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नाम का राजा था । उनके नगर में हर कोई खुशहाल था । राजा का एक भाई था जिसका नाम वज्रध्वज था । वो दैत्य प्रवृति का था । और उसके मन में अपने भाई को लेकर ईर्ष्या थी । धीरे धीरे समय बीतता गया और उसके मन में अपने भाई को लेकर ईर्ष्या बढ़ते गई । और एक दिन उसने अपने भाई को मारने की योजना बनाई । हत्या की योजना में वो सफल हो गया और उसने अपने भाई को पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया । और राजा महीध्वज की आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाई और राजा की आत्मा पीपल के पेड़ में रहने लगी । और आते – जाते राहगीरों को राजा की आत्मा सबको डराने लगी । एक दिन महर्षि वहां से गुजरे तभी राजा ने उनको भी डराने का प्रयास किया । तभी महर्षि ने कहा राजन, आप इतने समझदार और धार्मिक प्रवर्ति के व्यक्ति होकर भी दैत्यों जैसी तुच्छ हरकतें क्यों कर रहे हैं?’तब महीध्वज की आत्मा ने जवाब दिया, ‘हे ऋषिवर! मुझे क्षमा करें। मरणोपरांत मेरी आत्मा इस पेड़ में बंध कर रह गई है। प्रेतात्मा होने से राहगीरों को परेशान करना मेरी मजबूरी बन गई है। मैं इस बंधन से मुक्त होना चाहता हूं। आप ही कोई सुझाव दें । तभी ऋषि ने कहा वो इसके लिए ईश्वर की आराधना जरूर कर सकते हैं। ऋषि ने राजा महीध्वज की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की। और राजा को मुक्ति मिलीं और वो स्वर्गलोक पहुंच गए ।
एकादशी तिथि की शुरूआत
हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि की शुरूआत आज सुबह, 10:32 बजे से ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि की समाप्ति: कल सुबह, 10:54 बजे तक होगी ।
विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और अपरा एकादशी एकादशी व्रत कथा का करें पाठ
इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। अपरा एकादशी पर श्रीविष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से भक्तों को अपार सुख समृद्धि मिलती है।
आज के दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए । और विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और अपरा एकादशी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें ।