बागेश्वर: धूराफाट पट्टी के महर गांव की महिला होली कार्यक्रम की झोड़ा,चांचरी आज भी अपनी परंपराओं को संजोए हुए है.. देखें वीडियो

कुमाऊं मण्डल के अलग-अलग जगहों पर होली पावन पर्व को मनाने के अलग विधि है। प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति का कहना है।धूराफाट पट्टी के महर गांव में महिला संगठन के द्वारा होली पावन पर्व को एक झुंड बनाकर झोड़ा,चांचरी से शुभारंभ किया जाता है।

महिलाएं आज भी अपनी संस्कृति से जुड़ी हैं:

यहां की महिलाएं छह दिन की होली में अपनी कुमाऊं की संस्कृति झोड़ा, चांचरी गाते हुए होली महोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। मातृशक्ति की झोड़ा,चांचरी में अपनी एक अलग ही छाप है।

प्राचीन काल से ही झोड़ा, चांचरी का है प्रचलन:

प्राचीन काल से ही धूराफाट में झोड़ा,चांचरी का प्रचलन चलते आ रहा है। वहीं झोड़ा, चांचरी की परम्परा आज भी यहां की महिलाएं होली कार्यक्रम में करती है। ये होली कार्यक्रम में छह दिन तक यहां की महिलाएं झोड़ा, चांचरी व अन्य लोक गीतों के द्वारा हर गांवों में इकट्ठा होकर मनाती आ रही है।।