भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है । इस त्योहार को देशभर के कई हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस बार भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है। जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है।
उत्तराखंड की परंपरा
उत्तराखंड में मुख्य रूप से चूड़ा बनाने के लिए धान भिगोने की परंपरा है। कुमाऊं मंडल में चूड़ा बनाने के लिया प्रयुक्त धान दीपावली से तीन दिन पूर्व या पांच रात्रि पूर्व भिंगोए जाते हैं। उसके बाद गोवर्धन पूजा के दिन गर्म धान को ओखल में कूटने के बाद चूड़ा बनाए जाते हैं और भाई दूज के दिन चूड़ा को बहन भाई के सिर में चढ़ाती है और उसकी खुशहाली व लंबी उम्र की कामना करती है।
यह है शुभ मुहूर्त
सुबह 6 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक लाभ चौघड़िया, यह है भाई दूज पर बहन से टीक लगवाने का पहला शुभ मुहूर्त।
सुबह 8 बजकर 4 मिनट से 9 बजकर 4 मिनट तक अमृत चौघड़िया, यह है भाई दूज पर बहन से टीक लगवाने का दूसरा शुभ मुहूर्त।
सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट तक अमृत चौघड़िया, यह है भाई दूज पर बहन से टीक लगवाने का तीसरा शुभ मुहूर्त।
पौराणिक कथा
भाई दूज से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है । उनमें से एक इस प्रकार है । मान्यताओं के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक से जा पहुंचे । बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया । बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया । विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए और उन्हें भोजन कराया तथा तिलक लगाया । यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनचाहा वरदान मांगने को कहा । यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे । इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे । इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे । यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया । तभी से इस दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है ।