भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन, सम्पूर्ण भारत में शोक की लहर

हिंदी सिनेमा जगत की मशहूर गायिका लता मंगेशकर का निधन हो गया है । अभी उनकी उम्र 92 वर्ष थी । 8 जनवरी को लता मंगेशकर के कोरोना पॉजिटिव होने और निमोनिया जैसी बीमारी का शिकार होने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था । वह तब से लेकर अभी तक आईसीयू में ही थीं ।

सम्पूर्ण भारत में शोक की लहर

स्वर कोकिला का जन्म 28 नंवबर 1929 को हुआ था । उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में ही गायकी की शुरुआत कर दी थी । पिता के निधन के बाद उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी । लता मंगेशकर देश की सबसे बड़ी हस्तियों में से एक थी । उन्होंने सिर्फ अपनी जादुई कला से ही नहीँ बल्कि अपने अद्भुत व्यक्तित्व से भी सबको कायल बनाया । लता जी का हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान है ।
उन्होंने कई भाषाओं में 1000 से अधिक हिंदी फिल्मों में गाने रिकॉर्ड किए हैं । उनकी अद्भुत कला के लिए उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार समेत कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । इसके साथ ही उनका नाम गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड में भी शामिल है ।
मशहूर गायिका लता मंगेशकर के निधन से फिल्म इंडस्ट्री सहित, म्यूजिक इंडस्ट्री समेत सम्पूर्ण भारत में शोक की लहर है ।

भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार:

‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर लता मंगेशकर ने करीब पांच दशक तक हिंदी सिनेमा में फीमेल प्‍लेबैक सिंगिंग में एकछत्र राज किया। भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार लता मंगेशकर ने 1942 में महज 13 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में अब तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।

भारत रत्न समेत कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है

लता को भारत की ‘सुर साम्राज्ञी’ के नाम से जाना जाता है। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

पहाड़ों से रहा है स्वर कोकिला लता मंगेशकर का गहरा नाता

स्वर कोकिला लता मंगेशकर  का पहाड़ों से भी गहरा नाता रहा है । राम तेरी गंगा मैली के सुप्रसिद्ध गीत  “हुस्न पहाड़ों का क्या कहना” गाना लता जी ने गाया । इसके साथ ही  नैनीताल में सबसे पहले 1958 में फिल्माई गई पहली फिल्म ‘मधुमती’ के सुप्रसिद्ध गीत ‘चढ़ गयो पापी बिछुवा’ व ‘आ जा रे परदेशी’ सहित कई गीत लता जी की आवाज पहाड़ी धुनों पर चार चांद लगा देती है । ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि लता मंगेशकर ने उत्तराखंड की लोकभाषा गढ़वाली में भी एक गीत गाया था । जिसके बोल हैं,
‘मन भरमैगे’ यह गीत मूल रूप से रैबार फिल्म के लिए बनाया गया था। जिसके निर्माता किशन पटेल व निर्देशक सोनू पंवार थे। बाद में इस गीत को दुबारा नए कलाकारों व नई टीम के साथ रीशूट किया गया। देवी प्रसाद सेमवाल द्वारा लिखे गए इस गीत को बीना रावत व शिवेंद्र रावत पर दर्शाया गया है।

कोरोना पॉजिटिव थी लता मंगेशकर

काफी दिनों से खराब थी तबीयत
जनवरी में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में वह न्यूमोनिया से पीड़ित हो गईं। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनकी हालत में सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था। लेकिन 5 फरवरी को उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।

मुंबई के शिवजी पार्क में होगा अंतिम संस्कार:

6 फरवरी को ‘स्वर कोकिला’ ने आखिरी सांस ली। मुंबई के शिवजी पार्क में होगा अंतिम संस्कार।