पशुओं के लिए आई देश की पहली कोविड वैक्सीन,डायग्नोस्टिक किट भी लॉन्च, जानें

देश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है वहीं पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर भी सरकार सक्रिय है। जब कोविड आया तो उससे लोगों को बचाने के लिए वैक्सीन आई। ऐसे में अब पशुओं को इस तरह की संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए कोविड वैक्सीन लॉन्च की गई है। आपको जान कर देश के वैज्ञानिकों पर गर्व होगा कि ये वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है। वैक्सीन के अलावा एक डायग्नोस्टिक किट भी लॉन्च की गई है। क्या है वैक्सीन और किट जानते हैं विस्तार से…

पहली स्वदेशी वैक्सीन एनोकोवैक्स लांच की

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानवरों के लिए देश में कोरोना की पहली स्वदेशी वैक्सीन एनोकोवैक्स लांच की। इसे हरियाणा स्थित आईसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर आन इक्विंस (एनआरसी) द्वारा विकसित किया गया है। केंद्रीय मंत्री तोमर ने अश्व अनुसंधान केंद्र की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान ने अश्व व कुछ अन्य पशुओं के संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए 06 टीके एवं 19 निदान प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। जिनमें से चार लांच की गई है।

एन्कोवेक्स वैक्सीन (Ancovax Vaccine)

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार ने एन्कोवेक्स वैक्सीन विकसित की है। इससे सार्स कोरोना वायरस-2 (कोविड-19) से पालतू जानवर (कुत्ते, बिल्लियां), जो मानव आबादी के साथ रहते हैं, उनको कोविड से बचाएगा। यह वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है, जानवरों में कोविड 19 वायरस रोकने की प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है।

कैन कोव-2 एलिसा किट (CAN-CoV-2 ELISA Kit)

इस केन्द्र ने कुत्तों में सार्स कोव-2 एंटीबॉडी पता लगाने के लिए कैन कोव-2 एलिसा किट विकसित की है। वर्तमान में कुत्तों में सार्स कोव-2 संक्रमण पता लगाने के लिए कोई अन्य किट उपलब्ध नहीं है। अतः यह किट कुत्ते में सार्स कोव-2 संक्रमण पता लगाने में उपयोगी साबित होगी। किट भारत में बनी है और इसके लिए एक पेटेंट दायर किया गया है। कैनाइन में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए कोई अन्य तुलनीय किट बाजार में उपलब्ध नहीं है।

एलिसा किट (Surra ELISA Kit)

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार ने एलिसा किट विकसित किया है। यह किट पशुओं में होने वाले सर्रा रोग का पता लगाने में सहायक है। सर्रा प्रायः सभी पशुधन प्रजातियां जैसे घोड़ा, ऊंट, गाय, भैंस, सूअर इत्यादि के रक्त में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रोटोजोआ रोग है। यह रोग पालतू एवं जंगली जानवरों, जैसे- कुत्ते, बिल्ली, हिरण, चीता इत्यादि में भी पाया जाता है। यह रोग भारत के सभी कृषि-जलवायु भागों में प्रचलित है। सर्रा का समय पर निदान व इलाज बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इस बीमारी के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सके। केंद्र ने सर्रा रोग के सभी पशुओं के संक्रमण के निदान के लिए एलिसा किट विकसित की है। भारत में, सर्रा के कारण पशुधन उत्पादकता को सालाना 44.740 अरब रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। यह किट वर्तमान में उपलब्ध अन्य नैदानिक किट से तुलनात्मक रूप में बहुत सस्ता है। 

माइक्रोसेटेलाइट मार्कर

अपने अश्वों का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने के लिए मालिकों से पितृत्व विश्लेषण की लगातार मांग की जाती है। वर्तमान में देश में मातृत्व/पितृत्व सत्यापन के लिए कोई प्रमाणिक विधि उपलब्ध नहीं थी, जिसका समाधान करने के लिए केंद्र ने माइक्रोसेटेलाइट मार्कर आधारित अश्वों में मातृत्व/पितृत्व सत्यापन के लिए सुविधा विकसित की है। किट परीक्षण 300 से अधिक अश्वों पर किया, जिसके परिणाम सही पाए गए हैं।

वैज्ञानिकों ने हमेशा राष्ट्र गौरव बढ़ाने का काम किया

वैक्सीन लॉन्च करने के दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पशुपालन, मत्स्य पालन की प्रगति में वैज्ञानिकों का अहम योगदान रहा है। देश के वैज्ञानिकों ने हमेशा राष्ट्र गौरव बढ़ाने का काम किया है। तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार की ओर से विकसित चार प्रौद्योगिकियों पर कहा कि देश में खेती के साथ ही पशुपालन एवं मत्स्य पालन जैसी सम्बद्ध गतिविधियों की प्रगति में हमारे किसानों और सरकार की किसान हितैषी नीतियों के अलावा वैज्ञानिकों का अहम योगदान रहा है।

देश के वैज्ञानिकों पर  हम सभी को गर्व

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण जनता, गरीब लोगों और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है और हमारे वैज्ञानिकों ने भी इसमें योगदान दिया है। हमारे वैज्ञानिकों के शोध कार्य की हर जगह सराहना की जाती है, जिससे हम सभी को गर्व होता है। कोविड संकट के दौरान हमारे देश के अनुशासन और नेतृत्व के दृढ़ संकल्प की आज पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है।

देश में चलेंगी 4500 वेटनरी एंबुलेंस

वहीं इससे पहले केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने पशुओं के उपचार के लिए देश में 4500 वेटनरी एंबुलेंस चलाने की पहल की शुरुआत की। इससे आधे घंटे में ही पशुओं का उपचार हो सकेगा। इसके अलावा एक टोल फ्री नंबर पर किसान फोन करके अपने पशुओं का उपचार एंबुलेंस के जरिए करा सकेंगे। यह एंबुलेंस किसानों के पास आधे घंटे में ही पहुंच जाएगी। किसानों को पशुओं के उपचार के लिए अस्पताल नहीं जाना होगा। किसानों के द्वार पर ही पशुओं का उपचार उपलब्ध हो जाएगा। प्रत्येक एंबुलेंस में एक पशु चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट, एक सहायक और एक चालक तैनात रहेगा।