04 दिसंबर: आज मनाई जाएगी भगवान दत्तात्रेय की जयंती, माने जाते हैं त्रिदेव के स्वरुप, जानें महत्व व शुभ मुहूर्त

आज 04 दिसंबर 2025 है। आज भगवान दत्तात्रेय की जयंती है। कलयुग के भगवान और त्रिदेव के अवतार माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन को भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है। अनेक धर्म ग्रंथों में भगवान दत्तात्रेय की कथाएं पढ़ने को मिलती हैं। कुछ ग्रंथों में इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार बताया गया है तो कुछ ग्रंथों में सिर्फ भगवान विष्णु का। भगवान दत्तात्रेय की पूजा मुख्य रूप से साधु-संन्यासी करते हैं।

दत्तात्रेय जयंती आज

इस साल दत्तात्रेय जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन यानी 04 दिसंबर गुरूवार को मनाई जाएगी। भगवान दत्तात्रेय को परब्रह्मामूर्ति, सद्गुरु और श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया। यहीं कारण है कि उन्हें त्रिदेव का स्वरुप माना जाता है।

जानें शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचाग के अनुसार दत्तात्रेय जयंती 4 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।
सुबह 10:57 से दोपहर 12:17 तक
दोपहर 11:55 से 12:38 तक
दोपहर 12:17 से 01:36 तक
दोपहर 01:36 से 02:56 तक
शाम 05:36 से 07:16 तक
शाम 07:16 से 08:56 तक

माता अनुसूया के पुत्र

दत्तात्रेय भगवान का जन्म महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र के रूप में हुआ था। उनकी उत्पत्ति की कथा के अनुसार, पुत्र की इच्छा से महर्षि अत्रि ने तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें ‘मैंने अपना-आप को तुम्हें दे दिया’ (दत्तो मयाहमिति) कहकर पुत्र रूप में जन्म लिया। भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) के एक रूप हैं और उन्हें कलियुग के देवता भी माना जाता है।  

जानें पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद मन्दिर में भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें और उसके सामने धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें। “श्री दत्तात्रेयाय नमः” मंत्र का जाप करें। भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगा कर बैठें और स्तोत्र और गुरुचरित्र का पाठ करें।