शिक्षा मंत्री निशंक ने ‘निपुण भारत’ कार्यक्रम किया लॉन्च, बच्चों को दिया जायेगा शिक्षा के साथ साक्षरता और संख्या का ज्ञान

एक समय था जब बच्चों को गांव में, पेड़ की छांव में बैठाकर खेल-खेल में पढ़ाया जाता था। उन्हें गिनतियां और पहाड़े यानि टेबल्स याद करवाए जाते थे। बच्चों को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से विकसित करने में पूरे गांव का योगदान होता था । जैसे-जैसे समय बीता और टेक्नोलॉजी आयी वैसे वैसे बच्चों की शिक्षा फोन-लैपटॉप तक आ पहुंची। लेकिन पिछले कुछ साल से बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं। हाल ही में, नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिसिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमरैसी, निपुण भारत प्रोग्राम की शुरुआत की गयी है।

शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मिशन को  किया लॉन्च

‘निपुण भारत’ नेशनल मिशन फाउंडेशन लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी का हिस्सा है, जिसे स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा लागू किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य शिक्षा के साथ साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए बच्चों को एक सुलभ वातावरण प्रदान करना है, ताकि साल 2026-27 तक हर बच्चा कक्षा तीन तक पढ़ाई, लिखाई और अंकों के ज्ञान में जरूरी निपुणता हासिल कर सके।
शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मिशन को लॉन्च करते हुए कहा कि 29 जुलाई 2020 को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जारी की गयी। आज जरूरी है कि बच्चों की मूलभूत शिक्षा को स्कूल में ही पूरा किया जाये। उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए वर्ष 2021-22 में 2688.18 करोड़ रुपये के बजट की स्वीकृति प्रदान की गयी है।

तीन विकास लक्ष्यों में किया गया है विभाजित

दरअसल, बच्चे के दिमाग का 85% हिस्सा 6 साल की उम्र से पहले विकसित हो जाता है। निपुण भारत के तहत आधारभूत शिक्षा के लिए सीखने के परिणामों को 3 विकास लक्ष्यों में विभाजित किया गया है: स्वास्थ्य और कल्याण (एच डब्लू), प्रभावी संवाद (इसी) और सहभागी शिक्षार्थी (आई एल)। इसमें ग्रेड 2 तक 45 से 60 वर्ड्स प्रति मिनट रीडिंग, ग्रेड 3 में 60 वर्ड्स प्रति मिनट रीडिंग। न्यूमेरेसी में ग्रेड 1 में 100 तक, ग्रेड 2 में 999 तक , ग्रेड 3 में 9999 तक नंबर्स पढ़ना और लिखना सिखाया जाएगा।

बच्चों की प्रोग्रेस को किया जायेगा ट्रैक

निपुण भारत के तहत बच्चों की प्रोग्रेस को ट्रैक किया जायेगा, जिससे बच्चों की ताकत, जरूरतों, रुचियों और वरीयताओं को पहचान मिलेगी, बच्चों के प्रदर्शन को मजबूती मिलेगी और हस्तक्षेपों के माध्यमों से उन्हें सहारा दिया जायेगा।
मुद्दों और चिंताओं को हल करने के लिए सहयोग के साथ इससे सीखने की कमियों और सीखने की कठिनाइयों की शीघ्र पहचान हो पायेगी।

मूल्यांकन किस आधार पर होगा?

अब समझते हैं कि आखिर ये मूल्यांकन किस आधार पर होगा? दरअसल, आधारभूत शिक्षा के दौरान मूल्यांकन को दो प्रमुख क्षेत्रों में बांटा गया है-

1. स्कूल आधारित मूल्यांकन यानि स्कूल बेस्ड इवेलुएशन (एसबीए)- इसमें बच्चे जो अपनी कक्षा में नार्मल गतिविधियां करते हैं उसी के ऑब्जरवेशन से टीचर्स मूल्यांकन करेंगे। बच्चे का होलिस्टिक प्रोग्रेस रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा।

2. बड़े पैमाने पर मानकीकृत मूल्यांकन यानि स्टैंडर्डाइज्ड इवेलुएशन – इसमें बच्चों का राज्य, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बड़े पैमाने पर मूल्यांकन किया जायेगा। आसान शब्दों में समझें तो स्टेट, नेशनल या इंटरनेशनल स्तर पर जो अस्सिमेंट सर्वेज होते हैं, उनमें बच्चों का एक छोटा सैंपल लेकर मूल्यांकन किया जाएगा।

30 लाख शिक्षक करेंगे प्रशिक्षण प्राप्त

इसमें केवल बच्चों पर ही नहीं बल्कि शिक्षकों पर भी ध्यान दिया जायेगा। शिक्षा मंत्रालय के समग्र शिक्षा प्रोग्राम के अंतर्गत शिक्षकों के सशक्तिकरण पर फोकस रखा गया है। इसमें निष्ठा योजना की मदद से फाउंडेशन लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी के लिए एक विशेष प्रोग्राम शुरू किया जाएगा जो प्री-प्राइमरी से लेकर, प्राइमरी स्तर के सभी शिक्षकों को कवर करेगा। इसमें 30 लाख शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसकी निगरानी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा होगा यानि ये आईटी बेस्ड होगा।

निपुण भारत का उद्देश्य

1. निपुण भारत के तहत गतिविधि आधारित सीख पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जायेगा,

2. सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को लाभ और इस प्रकार समान, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी,

3. सीखने के परिणामों के आधार पर आंकलन किया जायेगा,

4. बच्चों को कक्षा में रहने में सक्षम बनाया जायेगा जिससे ड्रॉपआउट की संख्या में कमी आएगी,

5. शिक्षकों का सघन क्षमता विकास और सीखने के नए तरीके अपनाने की स्वतंत्रता दी जाएगी

कार्यक्रम को किया जायेगा मिशन मोड पर लागू

इस कार्यक्रम को मिशन मोड़ में लागू किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वयन एजेंसी रहेगी और एक मिशन डायरेक्टर रहेंगे। राष्ट्रीय मिशन के नीचे फिर राज्य मिशन, जिला मिशन, ब्लॉक/समूह स्तर और स्कूल प्रबंधन समिति रहेंगी।
इससे बच्चे तेजी से सीखने के पथ पर अग्रसर होंगे जिससे बाद के जीवन परिणामों और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।