भारतीय ज्ञानपरम्परा की गंगोत्री का विश्व पुस्तक मेले के वैश्विक पटल पर भव्य लोकार्पण

दिल्ली  के प्रगति मैदान में किताब वाले द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति– 2020 की गंगोत्री भारतीय ज्ञान परंपरा पुस्तक का लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। जिसके संपादक अंतरराष्ट्रीय महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वर्धा के मानविकी और सामाजिक विज्ञान के अधिष्ठाता प्रोफेसर अनिल कुमार राय हैं। इस आयोजन के अध्यक्ष महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य नरेश चंद्र गौतम , मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (नई दिल्ली) के राष्ट्रीय सचिव के डॉ . अतुल कोठारी व विशिष्ट अतिथि महेंद्र कुमार रहे।

शिक्षा का ध्येय चरित्र का सर्वांगीण एवं सतत विकास है

आज के कार्यक्रम का  बीज वक्तव्य तथा  संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर माला मिश्र  द्वारा किया गया। प्रोफेसर माला मिश्र ने कार्यक्रम का शुभारंभ अपनी कोमल मधुर वाणी से गणेश वंदना का गायन करते हुए किया गया। उन्होंने बीज वक्तव्य में कहा शिक्षा का ध्येय चरित्र का सर्वांगीण एवं सतत विकास है।और नई शिक्षा नीति शिक्षार्थी को मातृभाषा में शिक्षा के नए नए विकल्प और समग्र विकास के अवसर प्रदान करती है। प्रो० अनिल कुमार राय की पुस्तक शिक्षा के  क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी और भारत की ज्ञान परंपरा की यह आदर्श अभिव्यक्ति बनेगी क्योंकि इसमें देश के सुविख्यात बुद्धिजीवियों के ज्ञान और अनुभव की गंगा प्रवाहमान है।सभी अतिथियों का मान सम्मान अंग वस्त्र देकर किया गया। इसके बाद संचालक प्रोफेसर माला मिश्र ने अनिल कुमार राय को मंच पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया।

पुरानी शिक्षा नीति में किस प्रकार की कमियों का सामना किया गया का उल्लेख

प्रो .अनिल कुमार राय  ने बताया कि इस पुस्तक में अनेकों प्रकार के आलेखों का संकलन किया गया है, साथ ही साथ उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि पुरानी शिक्षा नीति में किस प्रकार की कमियों का सामना किया और यह भी बताया कि शिक्षा नीति राष्ट्र के लिए अहम क्यों है? बाद में उन्होंने सभी अतिथि व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। फिर सभी अतिथियों व अध्यक्ष ने पुस्तक का लोकार्पण किया। विशिष्ट अतिथि महेंद्र कुमार को उनके विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया जो कि अखिल  भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री हैं। महेंद्र कुमार ने बताया कि भारत को किस दिशा में जाना चाहिए। साथ ही साथ उन्होंने शिक्षा नीति 2020 की पुस्तक में कैसे संक्षेप रूप में सब कुछ प्रकट किया गया है इस बात का उल्लेख किया। उन्होंने भारत की आत्मा को सभी श्रोता गणों के सामने रूपायित करके अपने कुछ उदाहरणों से सभी को भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता को बताया। बाद में उद्बोधन के लिए अतुल कोठारी को आमंत्रित किया गया।  उन्होंने यह बताया कि भारत भारतीय ज्ञान परंपरा का नाम प्रोफेसर कपिल कपूर ने दिया है। जिसका आशय यह है कि आज भारत में ज्ञान परंपरा चल रही है। बाद में उन्होंने देश आजाद होने के बाद की तीनों शिक्षा नीतियों की विशेषताओं को बताया और यह बताया कि स्वतंत्रता के बाद शिक्षा नीति 2020पहली शिक्षा नीति है, जो भारतीय परंपरा को बढ़ावा देगी। सबसे प्रमुख बात यह बताइए कि इस शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य भारत में ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचार से, बौद्धिकता से और कार्य व्यवहार से भारतीय बने। अपने कई जीवंत उदाहरण को देकर यह बताया कि कैसे हमारा भारत अपनी संस्कृति को लुप्त करता जा रहा है। फिर उन्होंने भारत के विश्व गुरु की कहानी बताकर अपनी वाणी को विराम दिया। आखिर में आचार्य नरेश चंद्र गौतम  ने शिक्षा के महत्व को बताते हुए बताया कि शिक्षा वही दे सकता है, जिसके पास अच्छा चरित्र हो और अगर उसके पास भारतीय ज्ञान है तो वह दोबारा से भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। साथ उन्होंने गुरुकुल की महत्ता को बताया और श्रोता गणों को यह बताया कि पहले के समय में पास एक ही व्यक्ति को किया जाता था जो निपुण होता था। उन्होंने यह बताया कि नई शिक्षा नीति पूर्ण रूप से कुशल और कौशल युक्त दोनों ही है। प्रकाशक प्रशांत जैन को सभी का धन्यवाद ज्ञापन करने के लिए मंच पर बुलाया गया।

इस समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों ,संस्थानों ,विभागों और मंत्रालयों ने किया प्रतिभाग

आखिर में प्रोफेसर माला मिश्र  ने सभी का धन्यवाद व्यक्त करते हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।  इस भव्य समारोह में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों ,संस्थानों ,विभागों और मंत्रालयों से भी लोग उपस्थित थे।विद्यार्थियों की सक्रिय उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो इस पुस्तक के महत्व और आकर्षण  को झलकाती है।सभी आमंत्रितों के लिए  जलपान का आयोजन किया गया और इस आयोजन को कल्याण मंत्र के साथ पूर्ण रूप से  सफलता प्रदान करने का उपक्रम किया गया।