हल्द्वानी: बाबा नीम करौली महाराज पर आधारित गीत “जां तेरी छाया रौली”,गीत से सुप्रसिद्ध हुई शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट की आवाज़ में “खेले मसाने में होली दिगंबर” गीत हुआ लॉन्च

बाबा नीम करौली महाराज पर आधारित गीत “जां तेरी छाया रौली” के गाने से सुप्रसिद्ध हुई शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट का एक और  गीत “खेले मसाने में होली दिगंबर” गीत यू ट्यूब पर लॉन्च हुआ है ।उनका यह गीत आजकल काफी चर्चाओं में भी बना हुआ है।   

“खेले मसाने में होली दिगंबर” गीत हुआ लॉन्च

इन दिनों देशभर में होली की धूम मची हुई है। रंगों के इस त्योहार के बीच शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट की आवाज़ में एक गीत “खेले मसाने में होली दिगंबर” यू ट्यूब पर लॉन्च हुआ है। गीत में यह दर्शाया गया है कि शिव संहार के देवता हैं , तो इसीलिए मणिकर्णिका की ज्योति शिव की ज्योति जैसी ही है, जिसमें अंततः सभी को समाहित हो ही जाना है। इसी मणिकर्णिका के महाश्मशान में शिव होली खेलते हैं। मनुष्य सबसे अधिक मृत्यु से भयभीत होता है। उसके हर भय का अंतिम कारण अपनी या अपनों की मृत्यु ही होती है। शमशान में होली खेलने का अर्थ है उस भय से मुक्ति पा लेना। शिव किसी शरीर मात्र का नाम नहीं है, शिव वैराग्य की उस चरम अवस्था का नाम है जब व्यक्ति मृत्यु की पीड़ा, भय या अवसाद से मुक्त हो जाता है। शिव जब शरीर में भभूत लपेट कर नाच उठते हैं, तो समस्त भौतिक गुणों-अवगुणों से मुक्त दिखते हैं। कहते हैं काशी शिव के त्रिशूल पर टिकी है। शिव की अपनी नगरी है काशी, कैलाश के बाद उन्हें सबसे अधिक काशी ही प्रिय है।

जोश है हिम्मत भी है “ जैसे कई गानों में दी आवाज

इसी अद्भुत गीत को शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट द्वारा आवाज़ दी गई है। इसके अलावा नीम  करौली बाबा पर आधारित “जां तेरी छाया रौली” गीत की शानदार प्रस्तुति भी इनके द्वारा दी जा चुकी हैं। इसके अलावा मृगनयनी को यार नवल रसिया, शेर दा अनपढ़ के गीत प्यारी गंगा री मेरी, मोपे रंग ना डारो श्याम, टोक्यो ओलंपिक पर आधारित गीत “जोश है हिम्मत भी है जीतने को तैयार हैं” जैसे कई अद्भुत गीतों में शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट द्वारा आवाज़ दी गई है। टोक्यो ओलंपिक पर आधारित गीत को भी दर्शकों ने काफी सराहा था और सभी प्रतिभागियों में स्फूर्ति का एक आह्वान हुआ था।

बचपन से ही संगीत में रही विशेष रुचि

राँची तथा कोलकाता में पली- बड़ी शर्मिष्ठा चक्रवर्ती की बचपन से ही संगीत में विशेष रुचि रही। संगीत की शुरुवाती शिक्षा उन्होंने अपनी माता स्मृति चक्रवती से ग्रहण की। तत्पश्चात उन्होंने पंडित श्यामा प्रसाद और श्यामानन्द झा  से संगीत शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आकाशवाणी तथा दूरदर्शन  में ग्रेडेड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। इसके बाद  आज वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के केन्द्रीय संचार ब्यूरो (नैनीताल)में स्टाफ आर्टिस्ट के पद पर पिछले 22 वर्षों से आसीन हैं । साथ ही उनके पति कुमाऊं के मशहूर कुमाऊंनी कवि शेर सिंह बिष्ट  “शेर दा अनपढ़” के पुत्र आनंद सिंह बिष्ट भी केन्द्रीय संचार ब्यूरो (नैनीताल)में तबला वादक के पद पर पिछले बाइस वर्षों से कार्यरत हैं।  बताते चलें कि शर्मिष्ठा चक्रवर्ती बिष्ट स्विट्जरलैंड, मलेशिया समेत कई देशों में शानदार प्रस्तुति दे चुकी हैं और इनके द्वारा शिक्षा प्राप्त बच्चे आज सभी अच्छे पद पर कार्यरत हैं।