आज हम स्वास्थ्य से संबंधित फायदों के बारे में आपको बताएंगे। अगस्त का महीना है। जिसमें एक बार फिर मौसम में बदलाव हो रहा है। कभी बारिश तो कभी धूप का दौर चल रहा है। ऐसे में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में बरसात के मौसम में कुछ हेल्दी चाय के फायदे हम आपको बताएंगे। मानसून जितना रूहानियत लेकर आता है उतनी ही बीमारियां भी। अव्यवस्थित तरीके से विकसित हो रहे शहरों में पानी की सही निकासी न होने की वजह से जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, जिस वजह से मानसून आते ही डेंगू, मलेरिया, टायफायड जेसी बीमारियां फैलती हैं। दरअसल गर्मी के बाद बारिश आती है, जिस वजह से शरीर का तापमान में भी बदलाव आता है, ऐसे में नमी और गर्मी दोनों का कांबीनेशन होता है जिस वजह से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी परेशानियां भी होती हैं। मानसून की इन वायरल बीमारियों से बचने के लिए हम आपके लिए लेकर आए हैं हेल्दी चाय। जो आपकी इम्युनिटी तो बढ़ाएंगी ही साथ ही बीमारियों से भी दूर रखेंगी।
आइए जानें इन चाय के फायदें
तुलसी-अदरक चाय
तुलसी और अदरक की चाय सदाबहार है। इसे किसी भी मौसम में पिया जा सकता है। मानसून में एक कॉमन परेशानी सभी को फेस करनी पड़ती है और वो है लो इम्युनिटी। इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में जल्दी आता है। जिस वजह से जुकाम, खांसी और फ्लू जैसी परेशानियां होती हैं। नेचुरल तरीके से इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए तुलसी और अदरक की चाय रामबाण तरीके की तरह काम करती है। अदरक में एंटीइंफ्लामेटरी कंपाउंड्स होते हैं जिसमें नेचुरल एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं। जिस वजह से अदरक शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया को आने से रोकता है। साथ ही शरीर में बैक्टीरिया आने से रोकता है। अदरक से गले की खराश भी दूर होती है। तुलसी एक बेस्ट मेडिसिनल हर्ब है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एसेंशियल ऑयल पाए जाते हैं जो मानसून के इंफेक्शन से दूर रखते हैं। तुलसी बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के विरुद्ध काम करती है।
जीरा-अजवाइन चाय
मानसून में जीरा और अजवाइन की चाय आपको मानसून की बीमारियों से बचाएगी। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि जीरा-अजवाइन की चाय पीने से इम्युनिटी बूस्ट होती है। इस चाय में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो बीमारियों से दूर रखते हैं। जीरा में थायमोक्विनोन नामक पावरफुल एंटीओक्सीडेंट पाया जाता है जो सांस संबंधी बीमारियों से बचाता है। जैसे खांसी, जुकाम और गले में खराश जैसी परेशानियां दूर रहती हैं। अजवाइन में थायमोल नामक कंपाउंड पाया जाता जो एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल है। यह पेट संबंधी परेशानियों में भी कारगर है। पेट में गैस, जी मिचलाना या अपच जैसी परेशानियों में जीरा और अजवाइन की चाय बहुत काम आती है। अजवाइन एक नेचुरल डिटॉक्सीफायर की तरह काम करती है।
सौंफ मेथी चाय
मानसून सौंफ और मेथी की चाय पीने से भी आपको फायदा मिलता है। सौंफ और मेथी की चाय एक पावरफुल कांबीनेशन हैं जो इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं। सौंफ मेथी की चाय ब्लड शुगर लेवल और पाचन दोनों ठीक रखता है। सौंफ में विटामिन सी पाया जाता है जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मददगार है। सौंफ में मैंग्नीस पाया जाात है जो घाव को भरने में मदद करता है। सौंफ में एनेथोले( Anethole) नामक एसेंशियल ऑयल पाया जाता है जो बैक्टीरिया और वायरस से दूर रखता है। मेथी पाचन के जूस के सिक्रेशन में मदद करती है और नेचुरल एंटीबैक्टीरियल है। मेथी के दाने इम्युनटी बढाने में मदद करते हैं। मेथी में आयरन, कैल्शियम, फाइबर और मैंगनेशियम पाया जाता है। मेथी की चाय बनाने के लिए आप मेथी का पाउडर या दाने दोनों का प्रयोग कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक चाय
आयुर्वेदिक चाय में अश्वगंधा चाय और कालमेघ की चाय पी जा सकता है। कालमेघ या चिरयाता की चाय एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसे पीने रक्त साफ होता है। ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है। इंफेंक्शन की वजह से होने वाली सूजन को कम करती है। साथ ही रेस्पाइरेटरी ट्रैक्ट प्रॉब्लम भी दूर होती हैं। आयुर्वेदिक चाय पीने से कफ, पत्त का दोष खत्म होता है। उन्हें नियंत्रित रखती है। यह चाय जोड़ों के दर्द को कम करता है। मानसून में जोड़ों के दर्द की समस्या अधिक होती है। अश्वगंधा की चाय पीने से तनाव दूर होता है। यह चाय इम्युनिटी को बूस्ट करती है और बैक्टीरिय व वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करती है। अश्वगंधा की चाय फेफड़ों को भी स्वस्थ रखती है। यह चाय कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है।
नींबू-अदरक की चाय
नींबू विटामिन सी का पावरहाउस है। यह विटामिन सी इम्युनिटी को बूस्ट करने में मदद करता है। नींबू नेचुरल एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल है। एक नींब से आपको 35 से 40 ग्राम विटामिन सी मिलता है। यह मात्रा आपकी रोज की जरूरत की आती है। मतलब यह विटामिन सी की आधी जरूरत पूरी कर देता है। अदरक में जिंजोरल पाया जाता है और जब यह नींबू के साथ कंबाइन होता है तब एंटीमाक्रोबियल एक्शन्स बेहतर होते हैं। अदरक गले की खराश के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही मांसपेशियों के दर्द को भी दूर करती है। मांसपेशियों के दर्द की परेशानी मानसून में बढ़ जाती है।
हल्दी-काली मिर्च की चाय
हल्दी में करक्युमिन पाया जाता है जो एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है। यह एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी-इंफ्लामेटीर, एंटी कैंसर और एंटी फंगल होता है। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का मानना है कि हल्दी 20 दिन में आपका इम्युनिटी सिस्टम ठीक कर सकती है। काली मिर्च में पिपराइन नामक कंपाउंड पाया जाता है जो करक्युमिन का अवशोषण करने में मदद करता है। ये दोनों न्यूट्रीशन को बढ़ाने में मदद करते हैं।
दालचीनी-शहद चाय
दालचीनी में cinnamaldehyde पाया जाता है। यह एक पावरफुल एंटीवायरल कंपाउंड है। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का मानना है कि दालचीनी की चाय पीने से एचआइवी वायरस को दूर रखने में भी प्रभावी है। दालचीनी में polyphenols पाए जाते हैं जो इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं। साथ ही आपका शरीर संक्रमण से दूर रहता है। शहद एक ऐसी दवा है जो सालों तक खराब नहीं होती। शहद में ऐसे अनेक मिनरल और एसेंशियल ऑयल पाए जाते हैं। कच्चा अनप्रोसेस्ड शहद कई बैक्टीरिया और फँगस को मार सकता है। यही वजह है कि शहद कभी फंगस को नहीं पकड़ता। कच्चे शहद में हाइड्रोजन परोक्साइड पाया जाता है जो मनुष्य के लिए तो नुकसानदायक नहीं है, पर बैक्टीरिया और वायरस के लिए जरूरी है। शहद खांसी में भी फायदेमंद है। 1 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी यह लाभकारी है। शहद को गर्म नहीं करना चाहिए। इसे रूम टेंपरेचर पर ही रखें और गुनगुना पानी मिलाएं।
अस्वीकरण: हमारे द्वारा बताया गया लेख एक जानकारी के आधार पर है। यह चिकित्सा का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।