आज हम स्वास्थ्य से संबंधित फायदों के बारे में आपको जानकारी देंगे। बदलती जीवनशैली में हमारे सेहत पर काफी असर पड़ रहा है। जिसमें आज के समय में बढ़ती डायबिटीज भी है। नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, दुनियाभर में डायबिटीज़ के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिसमें से टाइप-2 डायबिटीज़ सबसे आम है। आज हम आपको डायबिटीज होने के कारण की जानकारी देंगे।
डायबिटीज के बढ़ते मामले चिंता का विषय
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेयो क्लीनिक के मुताबिक, डायबिटीज़ मेलिटस कुछ बीमारियों का समुह है, जो आपके शरीर के ब्लड शुगर को प्रोसेस करने के तरीके में ख़लल डालती हैं। ग्लूकोज़, जो कार्ब्स और चीनी से मिलता है, मानव शरीर बनाने वाली कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों और अंग प्रणालियों के लिए ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। यह मस्तिष्क के लिए ईंधन का मुख्य स्रोत भी है। लेकिन जब शरीर इस ईंधन को ठीक से संसाधित करने की अपनी क्षमता खो देता है, तो यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जब ब्लड ग्लूकोज बहुत अधिक होता है। अग्न्याशय या पैनक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन या बिल्कुल नहीं बना पाता, तो ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। मधुमेह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। ग्लूकोज (चीनी) मुख्य रूप से भोजन और पेय पदार्थों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट से आता है। यह शरीर की ऊर्जा का स्रोत है। ब्लड ऊर्जा के उपयोग के लिए शरीर की सभी कोशिकाओं में ग्लूकोज ले जाता है।
शारीरिक गतिविधि न होने से बढ़ता है खतरा
मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, आहार, हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिकी और कुछ दवाएं शामिल हैं। कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से टाइप 2 मधुमेह भी हो सकता है, जिसमें एचआईवी/एड्स दवाएं और कॉर्टिकोस्टेरॉइड शामिल हैं। जेनेटिक म्यूटेशन से नियोनेटल डायबिटीज हो सकता है।
हाई ब्लड ग्लूकोज
ग्लूकोज को ब्लड फ्लो के जरिये अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए इंसुलिन हार्मोन की जरूरत पड़ती है। यदि अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं करता है, तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इससे हाई ब्लड ग्लूकोज यानी हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) होता है। समय के साथ लगातार हाई ब्लड ग्लूकोज होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- हृदय रोग, तंत्रिका क्षति और आंखों की समस्याएं।
अंसतुलित हार्मोन्स
गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा हार्मोन जारी करता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है। यदि अग्न्याशय इंसुलिन प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सकता है, तो गर्भावस्था में मधुमेह विकसित हो सकता है। अन्य हार्मोन संबंधी स्थितियां जैसे एक्रोमेगाली और कुशिंग सिंड्रोम भी टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकती हैं।
मीठा खाने से नहीं होता ज्यादा खतरा
ज़्यादा मीठा खाने से सीधे तौर पर डायबिटीज़ नहीं होती, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा चीनी खाने से डायबिटीज़ का खतरा बढ़ सकता है।
खान-पान में बदलाव करने से करें नियंत्रित
आप डायबिटीज को बहुत अच्छे से कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी डाइट में और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की आवश्यकता होती है। ऐसा करने से आप डायबिटिज होते हुए भी इस समस्या से निजात पा सकते हैं और इसपर नियंत्रण रख सकते हैं। इन बदलावों में-
📌📌ब्लड शुगर को काबू रखने के लिए दिनभर खूब पानी पीना चाहिए।
📌📌फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होने से ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। इससे इंसुलिन रेसिस्टेंट में सुधार होता है और समग्र कल्याण को बढ़ावा मिलता है।
📌📌डायबिटीज को कंट्रोल रखने के लिए बैलेंस्ड डाइट लेना जरूरी है। आपके खाने में साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फल, सब्जियां और हेल्दी फैट वाली चीजें शामिल होनी चाहिए।
📌📌पर्याप्त नींद लेना स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है। इसमें 7-9 घंटे की नींद लें।