आज हम स्वास्थ्य से संबंधित फायदों के बारे में आपको बताएंगे। साइनोसाइटिस आमतौर पर नाक संबंधी रोग है, जो हवा में मौजूद केमिकल के कारण एलर्जी , इंफेक्शन या जलन के कारण होता है। इसमें आपके साइनस या साइनस कैविटी में सूजन आ जाती है। मानसून और सर्दियों में इस बीमारर का होना बहुत आम है।
🔵साइनस की समस्या के दौरान सिर दर्द बहुत होता है। ऐसे में सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है। इससे राहत पाने के लिए आप योगासन भी कर सकते हैं।
🍭आइए जानें-
📌कोबरा पोज यानी भुजंगासन-
अपनी हथेलियों को कंधे के नीचे रखकर अपने पेट के बल लेट जाएं। सांस को पूरी तरह से अंदर भरें, अपनी सांस को रोकें और फिर अपने सिर, कंधे और एब्डोमेन को 30⁰ डिग्री के कोण पर उठाएं। सुनिश्चित करें कि आपकी नाभि फर्श को छू रही हो, आपके कंधे चौड़े हों और सिर थोड़ा ऊपर की ओर उठा हुआ हो। अपने पैर की उंगलियों पर दबाव दें। अपने पैर की उंगलियों पर दबाव देने से सूर्य (दाएं) और चंद्रमा (बाएं) के चैनल सक्रिय हो सकते हैं, जो आपकी पीठ के निचले हिस्से से जुड़े होते हैं? 10 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें। धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे लाएं और फिर सांस छोड़ें।
📌उष्ट्रासन-
योगा मैट पर घुटने रखें और अपने हाथों को हिप्स पर रखें। इसके साथ ही, अपनी पीठ को आर्क दे। और अपनी हथेलियों को अपने पैरों के ऊपर तब तक स्लाइड करें जब तक बाहें सीधी न हो जाएं। अपनी गर्दन को तनाव या फ्लेक्स न करें, लेकिन इसे स्थिर रखें। एक-दो सांसों के लिए इसी मुद्रा में रहें। सांस छोड़ें और धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में वापस आएं। अपने हाथों को वापस ले जाएं।
📌कपालभाति-
संस्कृत में, ‘कपाल’ का अर्थ है खोपड़ी और ‘भाति’ का अर्थ है ‘चमकने वाला / प्रकाशमान’। इसलिए, इस कपालभाति प्राणायाम को सिर की चमकदार श्वसन तकनीक के रूप में भी जाना जाता है। किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें। अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आखें बंद करें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें। सामान्य रूप से सांस लें और एक छोटी, लयबद्ध और जोरदार सांस के साथ सांस छोड़ने पर ध्यान दें। आप अपने पेट का उपयोग कर डायाफ्राम से हवा को जबरदस्ती बाहर निकालने का प्रयास करें।
📌 भस्त्रिका प्राणायाम-
किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें। अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आखें बंद करें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें। अब सांस छोड़ें जैसे कि आप अपने फेफड़ों को खाली कर रहे हों। सांस लेना और सांस छोड़ना 1: 1 के अनुपात में किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप 6 काउंट के लिए सांस लेते हैं, तो आपको सांस छोड़ने के लिए 6 काउंट ही लेने चाहिए।
📌जानू शीर्षासन-
इस आसन में आपको बैठने की स्थिति में अपने सिर को घुटने से छूने की आवश्यकता होती है. अगर आप इस आसन का सुबह या शाम खाली पेट अभ्यास करते हैं तो ये अच्छा काम करता है। आप प्रत्येक पैर पर कम से कम 30 से 60 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें। जानू शीर्षासन का अभ्यास करने से आपका मन शांत होता है। ये सांस लेने के रास्ते को साफ करता है। इससे आपके कंधों को एक अच्छा खिंचाव मिलता है। ये आसन सिर दर्द, थकान और चिंता को दूर करता है। ये आसन अनिद्रा और हाई ब्लड प्रेशर को ठीक करता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण साइनसाइटिस की स्थिति और खराब हो सकती है।
📌गोमुखासन-
साइनस के लिए योग की लिस्ट में गोमुखासन को शामिल किया जा सकता है। इस योग को अंग्रेजी में ‘काऊ फेस पॉज’ के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का अभ्यास साइनस की समस्या में आराम दिलाने में मददगार हो सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में साइनस के लिए कुछ योगासनों को शामिल किया गया है, जिसमें गोमुखासन को भी जोड़ा गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि गोमुखासन का अभ्यास वायुमार्ग को लचीला बनाने में मदद कर सकता है, जिससे साइनस में आराम मिल सकता है।
📌अनुलोम विलोम-
कपालभाति की तरह ही अनुलोम विलोम भी साइनस से राहत दिलाता है। अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं। यह गले में जमा कफ को निकालने में भी मदद करता है। नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से पेट से जुड़े रोग दूर होते हैं। यह श्वसन तंत्र को भी मजबूत बनाता है।
📌सलंब सर्वांगासन-
साइनस के उपचार के लिए योग में सलंब सर्वांगासन को भी शामिल किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि एक शोध में होती है। शोध में सलंब सर्वांगासन को करने के फायदों में साइनोसाइटिस (साइनस की समस्या) से आराम दिलाना भी शामिल है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जो इस समस्या से परेशान हैं, वो इस योग को कर सकते हैं (7)। हालांकि, इसकी कार्यप्रणाली को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
📌भ्रामरी-
भ्रामरी प्राणायाम अपनी यांत्रिक सफाई और सूजन-रोधी प्रभावों द्वारा साइनस को हवादार करने में मदद करता है। भ्रामरी क्रोनिक साइनसिसिस के रोगियों में लक्षणों में सुधार करता है। नियमित रूप से भ्रामरी का अभ्यास करने से साइनस की समस्या में काफी आराम मिलता है। साथ ही इससे फेफड़ों की भी सफाई होती है।