12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रपत्र वाचन के मीडिया सत्र का आयोजन, भारत और विश्व के नाना देशों से आये हुए प्रतिभागियों ने 40 से भी अधिक प्रपत्र प्रस्तुत किये

12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रपत्र वाचन के मीडिया सत्र का आयोजन हुआ।इसका केंद्रीय विषय था –  सूचना प्रौद्योगिकी और 21 वीं सदी की हिंदी तथा मीडिया तथा हिंदी का विश्वबोध ।इस सत्र में भारत और  विश्व के नाना देशों से आये हुए प्रतिभागियों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ मीडिया और हिंदी के विषय को पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम मेधा से संबंधित करते हुए 40 से भी अधिक प्रपत्र प्रस्तुत किये।

इस सत्र की अध्यक्षता भारत से सरकारी प्रतिनिधिमंडल में आयी दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर  माला मिश्र ने की

इस सत्र की अध्यक्षता भारत से सरकारी प्रतिनिधिमंडल में आयी दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर  माला मिश्र ने की।पत्रकारिता और जनसंचार के संदर्भ में उन्होंने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भारत पुरातनकाल से ही ज्ञान परंपराओं का अग्रणी वाहक रहा है।इन ज्ञान परंपराओं के प्रथम संचारक नारद मुनि  को विश्व का प्रथम संचारक कहना ही समीचीन होगा। ऐसी सशक्त  पुरातन  ज्ञान परंपरा की उर्वरता के साथ कृत्रिम मेधा के उपयोग ने अनेक सर्जनात्मक पहलू विकसित किये हैं।यही फीजी में भारतवर्ष के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 12वें विश्वहिंदी सम्मेलन का मूल विषय है।इस सत्र में उपाध्यक्ष के रूप में मॉरीशस से  सुनीता  पाहुजा  उपस्थित थीं। इस सत्र में  प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र ,प्रोफेसर पवन अग्रवाल प्रोफेसर सुशील कुमार शर्मा  ,डॉ .विकास दवे की भी सक्रिय उपस्थिति रही।सभी विद्वानों ने मीडिया में हिंदी के विविध पक्षों पर अपने विचार प्रस्तुत किये।सुनीता पाहुजा ने कहा आज का मीडिया नई तकनीक के साथ नए नए प्रयोग कर रहा है। मॉरिशस से शशि दुकून , उत्तराखंड से शोभा रतूड़ी ,अलीगढ़ से जावेद आलम ,गढ़वाल से कविता भट्ट  ,कश्मीर से जाहिदा जबीन  , ओडिशा से जयंत कर शर्मा , दिल्ली से यतीन्द्र कटारिया इत्यादि ने मीडिया ,समाज ,संस्कृति और भाषा संबंधी विविध पक्षों पर अपने विचार साझा करते हुए आलेख पाठ किया।

20 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया
इस सत्र में 20 के लगभग पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।मॉरिशस के उदय नारायण गंगू की पुस्तक –  मॉरीशसीय हिंदी साहित्य के विकास में आर्यसमाज की पत्र पत्रिकाओं का योगदान , शैलजा सक्सेना की पुस्तक -फीजी का हिंदी साहित्य ,सपनों का आकाश  तथा  कल्पना लालजी का गिरमिटिया महाकाव्य ,फीजी में हिंदी विविध प्रसंग ,सात समंदर पार हिंदी , हिंदी संगठन की स्मारिका ,मंत्रमुग्धा ,जयंत कर की पुस्तक स्तुति चिंतामणि , सी जे प्रसन्न कुमारी की पुस्तक  परिवेश के आइना , डॉ .विकास दवे की पुस्तक कैसा हो मेरा घर और न फूल चढ़े ,न दीप जले  इत्यादि प्रमुख पुस्तकों का इस सत्र में लोकार्पण किया गया। विश्वहिंदी सचिवालय की स्मारिका का भी  इस सत्र में विमोचन किया गया। हिंदी संबंधी अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों के लोकार्पण से यह सत्र बहुत प्रभावी हो गया।