दी पैक इज़ कम्पलीट; भारत में आखिरी और 36वें राफेल विमान की लैंडिंग के साथ ही देश को मिला 36 राफेल लड़ाकू



फ्रांस  से डील के तहत फाइटर जेट राफेल की डिलीवरी पूरी गई। भारत में आखिरी और 36वें राफेल विमान की लैंडिंग के साथ ही देश को 36 राफेल लड़ाकू मिल गए। एयर फोर्स ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भरने के बाद राफेल को UAE वायु सेना के टैंकर विमान से आसमान में ही रिफ्यूल किया गया। इन विमानों ने लगभग आठ हजार किलोमीटर की उड़ान पूरी कर भारत में उसकी लैंडिंग की। एक ट्वीट में भारतीय वायुसेना ने फ़्रांस और UAE की वायुसेना को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इससे पहले वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने फ्रांस के मैरीनेक वायुसेना केंद्र से इन विमानों को झंडी दिखाकर रवाना किया। वायुसेना प्रमुख इन दिनों फ्रांस की यात्रा पर हैं।

भारतीय वायु सेना ने दी जानकारी

36वां और अंतिम राफेल विमान के भारत पहुंचने की जानकारी भारतीय वायु सेना ने ट्वीट कर दी। भारतीय वायु सेना ने ट्वीट कर कहा ‘पैक पूरा हो गया है’। वायु सेना ने यह भी बताया कि संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना के टैंकर से मिड एयर रिफ्यूलिंग के बाद 36 IAF राफेल में से अंतिम भारत में उतरा। भारतीय वायुसेना ने दोनों देशों की वायुसेना को इस सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

36 विमानों की खरीद का हुआ था समझौता

बता दें कि भारत द्वारा 2016 में फ्रांस के साथ 36 विमानों की खरीद के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। राफेल फाइटर जेट की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची थी। भारतीय वायु सेना का राफेल करीब 60 हजार फीट प्रति मिनट की दर से ऊंचाई चढ़ सकता है और करीब 2,223 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।  इसका कुल वजन 10 टन है। यह करीब 24.5 टन वजन के हथियार लेकर उड़ सकता है। रेंज यानी मारक क्षमता के मामले में राफेल की रेंज करीब 3700 किमी है। राफेल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सेमी-स्टेल्थ लड़ाकू विमान है।

राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई, 2020 को पहुंचा था भारत

गौरतलब हो कि भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 2016 में फ्रांस के साथ सौदा किया था। सभी 36 विमानों की आपूर्ति साल के अंत तक होने और इनके वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल होने की संभावना है। वायुसेना को मिलने वाले 36 राफेल विमानों में से 30 युद्धक विमान और छह प्रशिक्षण विमान होंगे। फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई, 2020 को अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में 10 सितम्बर को शामिल किया था। पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है। एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख के फ्रंट-लाइन एयरबेस पर तैनात किया है।

दूसरी स्क्वाड्रन में होगा शामिल

पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस में राफेल फाइटर जेट की दूसरी स्क्वाड्रन चीन के साथ पूर्वी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार है। भारतीय वायुसेना ने इस दूसरी स्क्वाड्रन का नाम 101 ‘फाल्कन्स ऑफ चंब और अखनूर’ रखा है। इस स्क्वाड्रन के ऑपरेशनल होने के बाद से भारतीय वायु सेना को पूर्वोत्तर में चीन की सीमा पर एक बड़ा बढ़ावा मिला है। राफेल विमान हाशिमारा एयरबेस के लिए फेरी लगाना शुरू कर कूके हैं। 101 स्क्वाड्रन की मुख्य रूप से चीन स्थित पूर्वी सीमा की देखभाल के लिए जिम्मेदार होगी जबकि अंबाला की स्क्वाड्रन लद्दाख में चीन के साथ उत्तरी सीमाओं और पाकिस्तान के साथ अन्य क्षेत्रों की देखभाल करेगी। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान शामिल होते हैं

‘गोल्डन एरो’ से नामित है पहला स्क्वाड्रन

फाइटर जेट राफेल के पहले 18 विमानों का जत्था ‘गोल्डन एरो’ से नामित स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था। विमानों को 17 स्क्वाड्रन, “गोल्डन एरो” के हिस्से के रूप में शामिल किया गया, जिसे 10 सितंबर 19 को पुनर्गठित किया गया था। स्क्वाड्रन को मूल रूप से वायु सेना स्टेशन, अंबाला में 01 अक्टूबर 1951 को स्थापित किया गया था। कई उपलब्धियां ऐसी हैं जो पहली बार 17 स्क्वाड्रन के द्वारा हासिल की गयी हैं; इसे 1955 में पहला जेट फाइटर, डी हैविलैंड वैंपायर मिला। अगस्त 1957 में, स्क्वाड्रन एक स्वेप्ट विंग लड़ाकू विमान, हॉकर हंटर में परिवर्तित होने वाला पहला स्क्वाड्रन बना।