इस साल वामन जयंती बुधवार यानी आज मनाई जा रही है । मान्यतानुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने पांचवे अवतार के रूप में वामन अवतार में जन्म लिया था । भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है । इस दिन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन की प्रतिमा या चित्र लगाकर पूजा की जाती है । भगवान वामन ने प्रहलाद पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदमों में तीनों लोक नाप दिए थे । आइए जानें कथा
वामन जयंती व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद राजा बलि एक अहंकारी राक्षस था । वह सदैव अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता था। दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर भी कब्जा जमा लिया था । अत्यन्त पराक्रमी और अजेय बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक और पाताल लोक का स्वामी बन गया । जब इंद्र देव को स्वर्ग लोक से निकाल दिया गया तो सभी देवता विष्णु भगवान के पास पहुंचे । और उन्होंने भगवान विष्णु को पूरी आप बीती सुनाई जिसके बाद भगवान विष्णु ने पांचवे अवतार के रूप में वामन अवतार के रूप में जन्म लिया । इसके बाद भगवान वामन एक एक बौने ब्राह्मण के वेश में राजा बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया । उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था । राजा बलि अपने वचन के बहुत पक्के थे और वो मान गए और उन्हें तीन पग भूमि देने का वादा कर दिया । वामनदेव ने अपने पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया तत्पश्चात दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया और तीसरे कदम के लिए कोई भूमि ही नहीं बची । लेकिन राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे उन्होंने अपना सिर झुकाकर कहा कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें । वामन देव राजा बलि की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए । इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा । इसके बाद बलि पाताल लोक में पहुंच गए ।
वामन जयंती की पूजा विधि
वामन जयंती के दिन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार की पूजा की जाती है इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं । षोडोपचार से वामन भगवान का पूजन करें । उन्हें रोली, मौली, पीले पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें और वामन अवतार की कथा का श्रवण करें । इस दिन किसी गरीब या वामन को भोजन अवश्य कराएं ।