अल्मोड़ा: छह साल से पहाड़ों में लगातार पर्वतारोहण का कार्य कर रहे थे अजय बिष्ट, पर्वातारोही का सपना नहीं हो पाया पूरा

अल्मोड़ा के युवा पर्वतारोही अजय बिष्ट को बचपन से ही पर्वातारोहण का शौक था। लेकिन उसे मालूम नहीं था कि यह शौक एक दिन उसकी जिंदगी छीन लेगा। युवा पर्वतारोही अजय की मौत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई अजय की मौत की सूचना से स्तब्ध है।

एवलांच की चपेट में आये पर्वातारोही अजय का दल की पहली लिस्ट में नाम नहीं था

   दरअसल, उत्तरकाशी में एवलांच की चपेट में आये पर्वातारोही अजय का दल की पहली लिस्ट में नाम नहीं था। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। दल के किसी अन्य व्यक्ति के पर्वातारोहण में नहीं जाने के चलते अजय दल में शामिल हो गया। जिसके बाद अजय ने दल में शामिल होने के लिए तैयारियां शुरू कर दी। घर से अजय पत्नी को जल्द वापस आने का वादा कर हंसी खुशी दल में शामिल होने के लिए रवाना हो गया। लेकिन अजय को मालूम नहीं था कि जिस दल में वह शामिल हो रहा है, वहां से वह कभी वापस नहीं लौटेगा। दल में किसी एक व्यक्ति के शामिल नहीं पर अजय शामिल हुआ था। उसे पता नहीं था कि वह जिस पर्वत की चोटी को फतह करने जा रहा है, वहीं उसकी जान ले लेगा।

पूर्व में कुमाऊं-गढ़वाल की कई चोटियों पर सफल ट्रेकिंग कर चुका था अजय

   अल्मोड़ा निवासी अजय विगत छह सालों से पहाड़ों में लगातार पर्वतारोहण कर रहे थे।   अजय ने साल 2019 में निमास दार्जिलिंग से पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया था।युवा पर्वातारोही अजय बिष्ट ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से एडवेंचर में एडवांस कोर्स करने के लिए संस्थान में दाखिला लिया था। वह पूर्व में कुमाऊं-गढ़वाल की कई चोटियों पर सफल ट्रेकिंग कर चुके थे ।

कसार देवी में ‘हिमालय कॉल’ की संस्था का सदस्य था अजय

अल्मोड़ा के कसार देवी में ‘हिमालय कॉल’ की संस्था का अजय सदस्य था। वहीं इनका बेस कैंप भी था। अजय ने रूपकुंड, जूना गली पास, सुंदरढूंगा वैली में बलूनी टॉप, थरकोट बेस, मैकतोली बेस कैंप, नामिक ग्लेशियर, पिंडारी ग्लेशियर, कफनी ग्लेशियर, दारमा घाटी में पंचाचूली बेस कैंप, रोहतांग पास समेत कई बड़े ट्रेक पूरे किए थे। 


पर्वातारोही अजय का सपना नहीं हो पाया पूरा

अजय का सपना था कि वह उत्तराखंड के हिमालय को एक्सप्लोर करे। वह हमेशा से हिमालय को पसंद करते थे और हर बार नए पर्वत पर चढ़ने के लिए योजना बनाया करते थे। उसका साहस बिल्कुल हिमालय की तरह ऊंचा था। लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। लगातार अपने दोस्तों से अजय पर्वातरोहण की बात किया करते थे।