सेना दिवस: भारतीय सेना का शौर्य अतुलनीय, पहली बार सेना दिवस पर परेड दिल्ली के बाहर बेंगलुरु में आयोजित

आज भारतीय सेना अपना 75वां ‘आर्मी डे‘ मना रही है, खास बात ये है कि आजादी के अमृत काल में थल सेना भी 75वां सेना दिवस मना रही है। 15 जनवरी, 1949 के दिन ही जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री ने सेना दिवस की बधाई दी।
देश के दुश्मनों से सीना तान के आर या पार के लिए हर पल तैयार रहने वाली भारतीय सेना ने वीरता की कई गाथाएं लिखी हैं। देश के जवानों के शौर्य और पराक्रम के बारे में सोचते ही हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। सेना दिवस देश के उन्हीं जांबाज रणबांकुरों की शहादत पर गर्व करने का एक विशेष मौका है। सेना दिवस उन सैनिकों को भी सम्मानित करता है, जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया है। थल सेना भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। 

 सेना दिवस पर, भारतीय सेना के जवानों के बलिदान की अनगिनत कहानियों को याद करते हैं-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सेना दिवस पर, भारतीय सेना के जवानों के बलिदान की अनगिनत कहानियों को याद करते हैं। उन्होंने हमेशा शौर्य और साहस की सीमाओं को आगे बढ़ाया है तथा आपदाओं के समय रक्षक के रूप में भी काम किया है। मैं इस अवसर पर भारतीय सेना के सभी बहादुर जवानों और उनके परिवारों को सलाम करती हूं।’ वहीं पीएम मोदी ने लिखा कि हर भारतीय को अपनी सेना पर गर्व है। देश की रक्षा में, देश की सीमाओं की रक्षा में भारतीय सेना का योगदान, भारतीय सेना का शौर्य अतुलनीय है। मैं सभी सैनिकों को, पूर्व सैनिकों को, उनके परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

पहली बार सेना दिवस परेड दिल्ली के बाहर बेंगलुरु में

वहीं इस बार सेना दिवस पर परेड दिल्ली के बाहर बेंगलुरु में आयोजित किया गया। 1949 में समारोह शुरू होने के बाद यह पहला मौका है, जब सेना दिवस परेड दिल्ली के बाहर बेंगलुरु के एमईजी एंड सेंटर में परेड ग्राउंड पर हो रही है। पहली बार आर्मी डे परेड और इससे जुड़े अन्य कार्यक्रम बेंगलुरु में आयोजित किए जा रहे हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि सरकार के इस फैसले ने सेना को लोगों से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर दिया है। मुझे विश्वास है कि इससे हमारे संबंध और भी मजबूत होंगे। सेना प्रमुख जनरल एम पांडे 75वें सेना दिवस पर आयोजित परेड की सलामी लेने के बाद सैनिकों को सम्बोधित किया।

उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा पर क्या है स्थिति

उन्होंने कहा कि पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम जारी है, जिससे सीमा पार से फायरिंग में कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद सीमा पार अभी भी आतंकी ढांचा बना हुआ है। हमारा काउंटर इंफिल्ट्रेशन ग्रिड वहां से घुसपैठ को लगातार नाकाम कर रहा है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी का प्रयास जारी है। ऐसी गतिविधियों के खिलाफ काउंटर-ड्रोन जैमर और अन्य उपकरण उपयोग में लाए गए हैं।

जम्मू-कश्मीर के अंदर के इलाकों में सुधार 

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अंदर के इलाकों में सुधार देखा गया है। स्थानीय आबादी ने हिंसा को खारिज कर दिया है और सकारात्मक परिवर्तनों का स्वागत करते हुए सभी सरकारी पहलों में उत्साहपूर्वक भाग लिया है। हालांकि, सुरक्षा बलों के प्रयासों से हिंसा में कमी आई है, लेकिन कई प्रॉक्सी आतंकवादी संगठनों ने अपनी मौजूदगी जताने के लिए लक्षित हत्याओं की तकनीक का सहारा लिया है। सेना अन्य सुरक्षा बलों के साथ ऐसे सभी प्रयासों को विफल करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

 कठिन क्षेत्र और खराब मौसम के बावजूद बहादुर जवान तैनात 

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चीन सीमा के बारे में कहा कि उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति सामान्य रही है और स्थापित प्रोटोकॉल और मौजूदा तंत्र के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। एलएसी पर एक मजबूत रक्षा मुद्रा बनाए रखते हुए हम किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। कठिन क्षेत्र और खराब मौसम के बावजूद हमारे बहादुर जवान वहां तैनात हैं। उन्हें सभी प्रकार के हथियार, उपकरण और सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में दी जा रही हैं।

सेना प्रमुख ने कहा कि स्थानीय प्रशासन, अन्य एजेंसियों और सेना के संयुक्त प्रयासों से चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले साल सेना ने सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करके सीमाओं की सक्रिय और मजबूती से सुरक्षा सुनिश्चित की। सेना ने क्षमता विकास, बल पुनर्गठन और प्रशिक्षण में सुधार के लिए कदम उठाए। इसने भविष्य के युद्धों के लिए अपनी तैयारियों को और भी मजबूत किया है।

 भारतीय सेना से जुड़े रोचक तथ्य

देश की आजादी से करीब 2 साल बाद 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना की कमान भारतीय फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर ने सौंपी। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य कमांडर बने। यह भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसलिए 15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना द्वारा अदम्य साहस, वीरता, उनके शौर्य और शहादत को याद करने के लिए सभी सेना मुख्यालयों पर सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। आर्मी डे को सेलिब्रेट करने का एक मकसद उन सभी शहीदों को सलाम करना भी है, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए और उन सैनिकों को भी सलाम करना है जो देश की सेवा में लगे हुए हैं।

भारतीय सेना का आदर्श वाक्य – “स्वयं से पहले सेवा”

 आजाद भारत में थल सेना ने लड़े युद्ध

> कश्मीर युद्ध 1947
> ऑपरेशन पोलो
> ऑपरेशन विजय
> भारत – चीन युद्ध 1962
> भारत-पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध 1965
> भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध 1971
> भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध 1999