लगभग तीन वर्षों से कोरोना से जूझ रहे विश्वभर में इस महामारी से लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। महामारी से निपटने के इस संघर्ष को मजबूती देने के लिए भारत ने एक और कदम आगे बढ़ाया है। भारत बायोटेक की कोविड-19 इंट्रानैसल वैक्सीन ‘इनकोवैक’ (बीबीवी154) दुनिया की पहली ऐसी कोरोना नेजल वैक्सीन बन गई है जो किसी भी वैक्सीन की बूस्टर हो सकती है।
प्राइमरी और बूस्टर दोनों तरह से उपयोग की जा सकेगी यह भारतीय वैक्सीन
भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन ‘इनकोवैक’ (बीबीवी154) को 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों में हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के तौर पर मंजूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन को प्राइमरी वैक्सीन और बूस्टर वैक्सीन दोनों तरह से इस्तेमाल किया जा सकेगा। आपने चाहे कोई भी वैक्सीन लगवाई हो तो भी आप बूस्टर डोज के तौर पर भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मंजूरी मिलने से पहले किया गया वैक्सीन का ट्रायल
प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर मंजूरी मिलने से पहले इस वैक्सीन का भारत में 14 जगहों पर 31 लोगों में ट्रायल किया गया था। और इसी तरह बूस्टर डोज के तौर पर इसकी कार्यक्षमता देखने के लिए 875 लोगों में इसका ट्रायल हुआ और यह ट्रायल 9 जगहों पर किया गया था। संगठन के द्वारा 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए बूस्टर खुराक के रूप में इसके इस्तेमाल की अनुमति दी है। कंपनी ने सोमवार को इसकी घोषणा की।
महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई को मजबूती प्रदान करेगा यह कदम
भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एल्ला ने बताया कि कोविड टीकों की मांग में कमी के बावजूद उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए इंट्रानैसल टीकों का प्रोडक्शन जारी रखा है, ताकि भविष्य में संक्रामक रोगों के लिए अच्छी तरह से तैयार रह सकें। इसके अलावा डीबीटी के सचिव राजेश एस. गोखले ने बताया कि डीसीजीआई द्वारा बारत बायोटेक की इंट्रानैसल वैक्सीन इनकोवैक को कोविड के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी मिलना हमारे देश के लिए लिए गर्व की बात है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इनकोवैक को वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था और यह कदम महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई को और मजबूत प्रदान करेगा व वैक्सीन कवरेज को बढ़ाने में अहम योगदान देगा।