गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा अरुणाचल प्रदेश में सतत् हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र सह राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला पर विचार मंथन का किया गया आयोजन

डी.के. कन्वेंशन हॉल, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश में गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के द्वारा सोलह दिसंबर को  सतत् हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र सह राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला पर विचार मंथन का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) जितेन्द्र कुमार सह-अध्यक्ष प्राधानाचार्य डेरा नातुंग सरकारी महाविद्यालय, डी एम.के. खान, निदेशक जीबी पन्त व अध्यक्ष प्रो. सुनील नौटियाल, सह-अध्यक्ष शदीपक शर्मा, संरक्षक श्री श्री ग्रामीण विकास कार्यक्रम ट्रस्ट व अन्य विभागों / संस्थानों के प्रधान / वैज्ञानिक उपस्थित थे।

जी.बी. पन्त संस्थान एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय केन्द्र के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया

परामर्श कार्यशाला के प्रथम सत्र में निर्देशक महादेय द्वारा सभी अतिथियों, प्रतिनिधियों का सहसे स्वागत किया गया ।  एवं अरुणाचल प्रदेश के पारिस्थिितक तंत्र के उपलब्धियों बतायी। उसके बाद उनके द्वारा जी.बी. पन्त संस्थान एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय केन्द्र के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया, पुनः डॉ डायना परियोजना समन्वयक के द्वारा हाई–लाइफ के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया एवं हाई- लाइफ परियोजना में किये गये गतिविधियों का वर्णन किया गया एवं अग्रिम परियोजना के बारे में बताया गया।इस परामर्श कार्यशाला में उपस्थित भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान एवं भारतीय प्राणी सर्वेक्षण संस्थान के क्षेत्रीय केन्द्र के प्रमुखों ने अपने-अपने संस्थान के अनुसंधान एवं विकास कार्यों के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया।

कार्बन इकोनॉमिक पर की गई चर्चा

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF)  जितेन्द्र कुमार के द्वारा कार्बन इकोनॉमिक पर चर्चा की गई, अरुणाचल प्रदेश, भारत में कार्बन निगेटिव एवं उत्सर्जन रहित राज्य बनकर भारत को इस दिशा में अगुआई करेगा, उन्होंने प्रधानमंत्री के बातों को दोहराते हुए LIFE- Life for Environment वाली प्रतिबद्धता को दोहराया और हमारे रोजमर्रा के जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव जो जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करते हैं उनपर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के पर्यावरण के उपलब्धियों बतायी और हमारे संस्थान के सहयोग से उसको बरकरार रखने को सहयोग मांगा।

श्री श्री ग्रामीण विकास कार्यक्रम ट्रस्ट एवं जीबी पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यारण संस्थान के बीच समझौता ज्ञापन किया गया

इस कार्यशाला में श्री श्री ग्रामीण विकास कार्यक्रम ट्रस्ट एवं जीबी पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यारण संस्थान के बीच समझौता ज्ञापन किया गया ।  अमृत जल धारा के पुर्न उत्थान का काम जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा। इसमें वे लोग स्थानीय युवाओं को जल सेवक के रूप स्वंयसेवी बनाएंगे, उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली बनाने में लोगों को मदद करने का वादा भी किया एवं उत्सर्जन मुक्त पर्यटन के दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखायी, जिसमें लोग अरूणाचल के किसी प्रशासनिक खंड को ग्रहण करने एवं वहीं एक मॉडल बनाने का सुझाव दिया।

परामर्श कार्यशाला के द्वितीय सत्र में इन विषयों पर हुई चर्चा

परामर्श कार्यशाला के द्वितीय सत्र में जैव विविधता संरक्षण, जल संसाधन प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक मुद्दों एवं आजीविका उत्थान और जलवायु परिवर्तन का प्राकृतिक संसाधन एवं समाज पर प्रभाव पर विस्तृत रूप में विचार-विमर्श किया गया जिसमें सभी विभागों के प्रतिनिधियों ने अपना मत रखा, अंत में प्रो नौटियाल, प्रा. डॉ खान एवं श्री शर्मा ने उपर्युक्त विषयों पर निष्कर्ष रखा।परामर्श कार्यशाला के अंतिम दौर में पूर्वोत्तर क्षेत्रीय केन्द्र प्रमुख डॉ देवेन्द्र कुमार द्वारा कार्यशाला में उपस्थित सभी अतिथियों को धन्यवाद किया।

संस्थान में हो रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यों के बारे में बताया गया

साथ ही निदेशक मामा नतुंग, युवा एवं खेल मामले, पर्यावरण और वन एवं जल संसाधन मंत्री से मुलाकात भी की एवं निदेशक महोदय ने संस्थान में हो रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यों के बार में बताया। साथ ही निर्देशक महोदय मेडिशनल प्लांट बोर्ड के भूतपूर्व एम.एल.ए. से मुलाकात की ।  उन्होंने जी. बी. पन्त संस्थान के गहन शोध एवं विकास में लाने की बात कही और अध्यक्ष और मुख्य कार्य अधिकारी  संस्थान के साथ मिलकर जड़ी-बूटियों के संरक्षण, संर्वधन और विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया जा सके ताकि अरुणाचल प्रदेश के ग्रामीण जनता को इसका लाभ मिल सके। अंत में माननीय मंत्री ने संस्थान को उपयुक्त स्थान पर जमीन मुहैया कराने की बात कही ताकि संस्थान का स्थायी परिसर अरुणाचल प्रदेश में बन सके।